Gold Silver

30 नवंबर को होगा उत्पन्ना एकादशी व्रत, कैसे हुई एकादशी की उत्पत्ति

उत्पन्ना एकादशी व्रत अगहन महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस बार ये महीने के आखिरी दिन यानी 30 नवंबर को किया जा रहा है। पद्म पुराण के मुताबिक इस दिन व्रत या उपवास करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही कई यज्ञों को करने का फल भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार अगर एकादशी का व्रत नहीं रखते हैं तो भी एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए। इस व्रत में एक समय फलाहार कर सकते हैं।
वैदिक विश्वविद्यालय चित्तोड़ के ज्योतिषाचार्य डॉ बताते हैं कि मार्गशीर्ष माह के कृष्णपक्ष की ग्यारहवीं तिथि को भगवान विष्णु से एकादशी तिथि प्रकट हुईं यानी उत्पन्न हुई थीं। इसलिए इस दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है। इसे उत्पत्तिका, उत्पन्ना, प्राकट्य और वैतरणी एकादशी भी कहा जाता है। पद्म पुराण के मुताबिक श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को इस एकादशी की उत्पत्ति और इसके महत्व के बारे में बताया था। व्रतों में एकादशी को प्रधान और सब सिद्धियों को देने वाला माना गया है।

Join Whatsapp 26