निकाय चुनाव : उम्मीदवारी के लिए अपनों में ही घमासान

निकाय चुनाव : उम्मीदवारी के लिए अपनों में ही घमासान

कइयों के पास ऊंची पहुंच तो कई जनता के विश्वास पर कर रहें हैं दावेदारी

जयनारायण बिस्सा
बीकानेर। नगर निगम चुनावों के लिये पार्टियों में आवेदन के बाद शहर में चुनावी रंग जोर पकडऩे लगा है। कांग्रेस भाजपा ने भी तैयारियां तेज कर दी है। जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश हो रही है। वार्डों से एक से अधिक आवेदन के कारण उम्मीदवारी के लिए दोनों ही पार्टियों में अपनों में ही घमासान वाली स्थिति देखने को मिल रही है। कोई टिकट को लेकर आश्वस्त है तो कोई टिकट कटवाने में लगा हुआ है। इस बीच कई दावेदार टिकट के लिए बड़े सिफारिशें करवाने में लगे हुए हैं। कई वार्डों में निर्दलीय के रूप में उतरने वालों ने तो प्रचार भी शुरू कर दिया है। आपसी रिश्तेदारी के चलते बीकानेर पश्चिम में जातिगत समीकरण हावी है। कोई किसी को रिश्तेदारी से दबाने का प्रयास कर रहा है, तो कोई सगे संबंधियों से। वहीं पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी ने चुनाव में प्रत्याशी उतारने की घोषणा के कारण निगम के चुनाव रोचक होने वाले हैं।

अब बैकडोर आवेदन
हांलाकि दोनों ही दलों में आवेदन लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लेकिन अभी भी पाॢटयां बैकडोर आवेदन ले रही है। जिसके चलते दोनों ही दल आवेदन करने वालों के नाम देने से कतरा रहे है। बताया जा रहा है कि वरिष्ठ नेताओं ने अपने चेहतों को महापौर की कुर्सी पर बैठाने की जुगत के चलते व्यवसायी घरानों से आवेदन करवा लिये है। जबकि अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को आश्वसनों की मिठी गोलियां दी जा रही है।

बदलेगे नियम
वैसे तो भाजपा-कांग्रेस इस बात का दावा करते नहीं थक रहे कि वार्ड वासी को पार्टी का टिकट दिया जाएगा। किन्तु इस बात से भी इंकार नहीं कर रहे है कि परिस्थितिवश नियमों में कुछ शिथिलता बरती जाएगी। जिसके कारण मूल कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है। ऐसी जानकारी मिली है कि दोनों ही दल के वरिष्ठ नेता अपने परिजनों व चहेतों को टिकट दिलावने के लिये नियमों का धता बताएंगे।

भाजपा असमंजस की स्थिति में
नगर निगम के पिछले वार्ड में महापौर का विरोध करने वाले पार्षदों को टिकट देने या न देने को लेकर भाजपा असमंजस स्थिति में है। भाजपा का एक खेमा सदन में महापौर के विरोध में रहे पार्षदों को टिकट देने की खिलाफत कर रहा है। तो वहीं दूसरा खेमे ने अपनी अलग ही आवेदन सूची बनाकर शीर्षस्थ नेताओं व प्रभारी को सौंपी है। इस खेमे का तर्क है कि उनको पार्टी के पदाधिकारी तवज्जो नहीं दे रहे है। जिसकी वजह से विरोधी खेमे ने प्रभारी सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी से मुलाकात कर अपने आवेदन सौंपे।

पार्टियों में गुटबंदी हावी
जानकार सूत्र बताते है कि भाजपा व कांग्रेस में जमकर गुटबंदी है। जिसकी वजह से ही पूर्व मंत्री ने सनम का झंडा फिर से खड़ा किया है। बताया जा रहा है जहां भाजपा में केन्द्रीय मंत्री,भाजपा जिलाध्यक्ष की टीम की कार्यप्रणाली से पार्टी कार्यकर्ता नाराज है और प्रदेश के नेताओं से अपने नाम पर मुहर लगाने की जुगत में लग गये है। तो वहीं कांग्रेस में अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग के चलते वरिष्ठ नेताओं ने अपने चेहतों के नाम जिलाध्यक्ष व प्रदेश नेताओं को सौपें है।

टिकट नहीं तो लड़ेंगे निर्दलिय
पार्टियों से टिकट लेने के लिये घमासान किस कदर मचा हुआ है। इसका मंजर तो पार्टी कार्यालयों व वरिष्ठ नेताओं की चौखट चूमने वाले आवेदकों के अंदाज ले लगाया जा सकता है जो अपने नेताओं को दो टूक कहने से नहीं चूक रहे है। आवेदन करने पहुंचे कई युवाओं कार्यकर्ताओं ने तो अपने वरिष्ठ नेताओं से यहां तक कह दिया है कि अगर पार्टी टिकट नहीं देगी तो इस बार निर्दलिय चुनाव लड़ेंगे।

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