बेकाबू रफ्तार से रोज हो रहे हैं हादसे, जिम्मेदारों का ध्यान नहीं

बेकाबू रफ्तार से रोज हो रहे हैं हादसे, जिम्मेदारों का ध्यान नहीं

बीकानेर। जिले में वाहनों की रफ्तार बेकाबू होती जा रही है। गली हो या फिर चौराहा बड़ी संख्या में दुपहिया और चारपहिया वाहन तेजी से निकलते दिखाई देते हैं। सर्वाधिक लापरवाह किशोर और बच्चे दिखाई देते है। अनियंत्रित वाहनों की तेज रफ्तार और बिना किसी प्रॉपर ट्रेनिंग के ही सड़कों पर वाहन हांक रहे ड्राइवरों के कारण जिले में दुर्घटनाओं में काफी इजाफा हो रहा है। स्पीड की चाहत और ओवरटेकिंग के शौक ने गत एक वर्षों में सैकड़ों जाने ली है। इनमें से कई लोग तो ऐसे थे, जिनका दुर्घटना में कोई कुसूर भी नहीं था पर चालकों की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता के कारण आये दिन लोगों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है।

केस एक
तेज रफ्तार के चलते सोमवार दोपहर दीनदयाल उपाध्याय सर्किल पर एक ट्रोला पलटी खा गया। जिससे ट्रोले का अगला भाग अलग हो गया और शेष भाग पीछे रह गया। गनीमत यह रही कि सोमवार को उस सड़क पर यातायात का दबाव कम होने के कारण कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। लेकिन इस घूमचक्कर से तेज रफ्तार में गुजरने वाले चौपहिया वाहन और बड़े वाहन अक्सर दुर्घटना को अंजाम देते है।

केस दो
यही हालात शहर के अनेक मुख्य मार्गों के है। सोमवार शाम को ही एम एन अस्पताल चौराहे में बीच सड़क गढ्ढा होने के कारण एक जीप अनियंत्रित हो गई। तेज रफ्तार में होने के कारण जीप चालक को यह गढ्ढा नजर नहीं आया और चालक ने जीप का नियंत्रण खो दिया। परन्तु बड़ा हादसा होने से टल गया।

 

आए दिन होत है हादसे
स्कूल और कोचिंग की छुट्टी होते ही ये लोग तेज रफ्तार से वाहन चलाते हुए निकलते हैं। ऐसे समय आसपास के लोगों को खुद संभलना पड़ता है। लापरवाही से वाहन चलाने के कारण ही आए दिन हादसे हो रहे हैं। इलाका कोई भी हो वाहन चालकों की रफ्तार कम नहीं होती। सबसे अधिक जल्दी में बच्चे और किशोर रहते हैं। स्कूल और कालेजों में पढऩे वाले इन किशोरों को न खुद की परवाह होती है और न ही सड़क पर चल रहे राहगीर की। सड़क अच्छी होनेे की वजह से कुरवाई रोड के अलावा लिंक रोड, तहसील रोड तथा लटेरी रोड पर वाहन चालकों की गति काबू से बाहर होती है। इस वजह से छोटी-मोटी दुर्घटना होना आम हो गया है। रात में तेजी से वाहन चलाने वालों में युवाओं की संख्या ज्यादा होती है।

गलियों की स्थिति और अधिक गंभीर
मुख्य सड़कों के अलावा नगर की गलियों में भी वाहन चालकों की गति तेज रहती है। नगर की अधिकांश कोचिंग व्यास कॉलोनी,पंचशती सर्किल इलाके में हैं। दोपहर तीन बजे बाद कोचिंग सेंटरों पर बच्चों और किशोरों की भीड़ उमडऩे लगती है। जो रात आठ बजे तक बनी रहती है। कोचिंग क्लास के बाद ये सभी स्टूडेंट सामूहिक रूप से वाहनों पर सवार होकर निकलते हैं। यहीं से इनके बीच वाहन तेज चलाने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाती है। इस प्रतिस्पर्धा में इनके बीच में आने वाले राहगीरों की जान आफत में होती है। भलाई के लिए राहगीर खुद ही सड़क किनारे हो जाते हैं।

खुद ही बना लिए हैं ब्रेकर
वाहन चालकों की गति पर काबू नहीं होती देख लोगों ने खुद अपने स्तर पर ही बचाव के प्रयास शुरू कर दिए हैं। शहर के कई क्षेत्रों व गलियों में रहवासियों ने खुद ही सड़क पर स्पीड ब्रेेकर बना लिए हैं।

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