
रामा-श्यामा से ज्यादा व्हाटस-एप और फेसबुक पर विश का क्रेज






बीकानेर। दीपावली की आतिशबाजी के बाद दूसरे दिन सुबह- सुबह तैयार होकर रिश्तेदारों व परिवार वालों के यहां जाना और उनके चरण स्पर्श करना, बदले में ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद और नेगस्वरूप रुपए लेना। शायद पैर थक जाते, लेकिन रामा-श्यामा के लिए रिश्तेदारों के यहां रामा-श्यामा करने और उनसे मिलने के लिए मकान कम नहीं पड़ते। मॉडर्न लाइफ स्टाइल व जीवन की आपाधापी के बीच परम्पराओं व संस्कृति में भी बदलाव हो रहा है। रिश्ते निभाने की परंपरा व्हाट्स एप और फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित अन्य सोशल प्लेटफॉम्र्स पर जो शुरू हो गई। शायद इस बीच रिश्तों की परंपरा तो जीवंत है, लेकिन चरण स्पर्श व मुंह मीठा कर और दो प्यार भरी बातें बुजुर्गों से सुनने की परंपरा कम हो गई है।
नौकरियों से नहीं मिलती छुट्टियां
शहर में अधिकांश युवा मल्टीनेशनल कंपनियों में कार्यरत होने के कारण दिल्ली, मुंबई व बैंगलुरु जैसे महानगरों में जॉब कर रहे हैं। ऐसे में ज्यादातर जगह छुट्टियां कम होने से कपल्स आनन-फानन में ही दिवाली मनाने घर पहुंचते हैं। दिवाली के बाद रामा-श्यामा को ही वापस निकल जाते है। इस दौरान कई लोगों का चाहकर भी ऐसे मौकों पर रिश्तेदारों-नातेदारों से मिलना नहीं हो पाता।
वेब कैमरे के जरिए प्रणाम की परंपरा
छुट्टियों के अभाव में कई युवा ऐसे भी हैं, जो अपनी जॉब, घर से दूरी व व्यस्तताओं के चलते दिवाली मनाने के लिए या तो अपने घर नहीं आ पाते, या फिर अपने घर पर होते हुए कम समय के कारण रामा-श्यामा के लिए रिश्तेदारों के यहां नहीं जा पाते। तकनीकी युग में ऐसे युवा वेब कैमरे के जरिए अब दूर बैठे ही घर-परिवार व रिश्तेदारों से रामा-श्यामा और प्रणाम कर लेते है। जिसमें उनका चेहरा भी दिखाई देता हैं।
युवाओं में रूचि हो रही कम
सदियों से चले आ रहे रामा-श्यामा को लेकर अब युवाओं में रूझान कम दिखाई देने लगा है। परंपरा व संस्कृति से जुड़े रामा-श्यामा पर रिश्तेदारों के यहां जाने में रूचि कम दिखाने लगे हैं। इसकी जगह लोग अपने दोस्तों व अन्य जगहों पर अपना समय बिताना पसंद करते हैं।
इनका कहना है
आधुनिकता संस्कृति व संस्कारों पर हावी हो गई है। युवा पीढ़ी में अब रामा-श्यामा का महत्व कम हुआ है। युवा अब अपने तरीकों से हर त्यौहार, पर्व व विशेष दिन को सेलिब्रेट करने लगे हैं।
रामेश्वर सोनी,सेवानिवृत्त चिकित्सक
बदलते समय और आपाधापी के बीच मैं और मेरे भाई-बहन सभी रिश्तेदारों के यहां रामा-श्यामा के लिए नहीं जा पाते। प्राइवेट जॉब करता हूं, इसलिए बाकी समय, छुट्टी पर दोस्तों के साथ बिताते है। धीरज बिस्सा,प्राईवेट नौकरी

