
शिक्षा विभाग के संवेदनहीन फैसले से सरकार की हो रही किरकिरी






खुलासा न्यूज,बीकानेर। एक ओर राज्य सरकार हर वर्ग के हितों का ध्यान रखने की बात कह कर अपनी सरकार को संवेदनशील सरकार होने का दावा करती है। लेकिन पिछले कुछ फैसलों से ऐसा लगता नहीं है कि सरकार हर वर्ग की हितैषी होकर काम कर रही है। बात करें कुछ ऐसे ही सरकारी आदेशों की जिससे हजारों शिक्षक,अभ्यार्थी और शिक्षण संस्थान में कार्यरत शैक्षणिक-अशैक्षणिक स्टाफ की। जहां करवा चौथ पर पटवार परीक्षा करवाकर शिक्षक संगठनों के निशानों पर आ चुके शिक्षा विभाग के बाद अब पंजीयक शिक्षा विभागीय परीक्षाएं विभाग का आदेश भी चर्चा का विषय बन चुका है। जिसमें प्री डी एल एड परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यार्थियों की ऑनलाइन प्रवेश की प्रक्रिया का शिड्यूल जारी किया गया है। ऐसे देश के सबसे बड़े पर्व की खुशियां को मनाने की बजाय निजी शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत स्टाफ और अभ्यार्थी काउसलिंग की उधड़बुन में ही उलझे रहेंगे। जबकि शिक्षा विभाग की ओर से दीपावली अवकाश 29 अक्टुबर से 7 नवम्बर तय किया गया है। अगर ऑनलाइन काउसलिंग के शिड्यूल पर गौर करें तो 2 नवम्बर तक दस्तावेज अपलोड करने,दस्तावेज प्रमाणीकरण,विडियो कॉन्फ्रेसिंग के लिये स्लॉट बुकिंग,शिक्षण संस्थाओं को रिपोर्टिग करने के साथ साथ छोटी दीपावली यानि तीन नवम्बर को प्रोविजनल प्रवेश शिल्प प्राप्त करने के दिशा निर्देश दिए गये है।
बाहरी अभ्यार्थियों को ज्यादा परेशानी
जहां दीपावली जैसे देश के सबसे बड़े पर्व पर अन्य जिलों में अध्ययरत विद्यार्थी और शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत स्टाफ अपने परिवार के साथ त्योहार मनाने जाते है। वहीं प्री बीएसटीसी में प्रवेश के लिये भी बाहरी जिलों के अभ्यार्थियों को दस्तावेज प्रमाणीकरण व प्रोविजनल प्रवेश शिल्प लेने के लिये प्रवेशित ई मित्र केन्द्रों पर जाना पड़ेगा। ऐसे में त्योहार पर किरकिरी होना स्वाभाविक है। यहीं नहीं बसों व ट्रेनों में त्योहारी भीड़ के चलते भारी परेशानी भी उठानी पड़ेगी। आपको बता दे कि बीएसटीसी में अधिकांशत महिला अभ्यार्थी होती है।
पहले भी विभाग निकाल चुका है अव्यवहारिक आदेश
ऐसा नहीं कि पंजीयक शिक्षा विभागीय परीक्षाएं ने इस तरह के आदेश पहली बार निकाला है। इससे पहले भी शिक्षा निदेशक के निर्देशानुसार निजी शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत व्याख्याताओं को बीएसटीसी की कॉपियां न जांचने और उन्हें प्रायोगिक परीक्षाओं में ड्यूटी न लगाने की बात भी सामने आई है। विभाग की ओर से इस तरह के अव्यवहारिक आदेशों के चलते कोरोनाकाल में पहले ही आर्थिक मंदी से जूझ रहे निजी शिक्षण संस्थाओं के व्याख्याताओं को जबरदस्त झटका लगा। वहीं अब शिक्षण संस्थाओं में अवकाश के दौरान इस प्रकार काउसलिंग के कार्यक्रमों को जारी कर विभाग ने फिर से अभ्यार्थियों व स्टाफ को परेशानी में डाल दिया है।


