डेंगू को लेकर आपके मन में है कोई सवाल तो जानिए एक्सपर्ट विकास पारीक से

डेंगू को लेकर आपके मन में है कोई सवाल तो जानिए एक्सपर्ट विकास पारीक से

अब लोग डेंगू को लेकर काफी सतर्क हो गए हैं और इससे बचे रहने के लिए काफी कदम भी उठाने लगे हैं। हालांकि अभी भी लोगों के मन में डेंगू को लेकर कई सवाल है, जिनके जवाब जानना जरूरी है।

  कोरोना काल में बिना थके, बिना रूके योद्धा की तरह सेवा देने वाले ख्यातिप्रसिद्ध फिजिशियन डॉ. विकास पारीक डेंगू के बारे में सब कुछ बता रहे है। एक्सपर्ट पारीक आपको डेंगू से जुड़े हर सवाल का जवाब दे रहे है। आपके मन में कोई सवाल है तो जानिए… 

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डेंगू हल्का (Mild) या गंभीर (Severe) दोनों हो सकता है। ऐसे में इसके लक्षण भी अलग-अलग नजर आते हैं। खासतौर से बच्चों और किशोरों में माइल्ड डेंगू होने पर कई बार कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। संक्रमित होने के बाद डेंगू के हल्के लक्षण चार से सात दिनों के अंदर नजर आने लगते हैं।

इन लक्षणों में तेज बुखार (104° F) के अलावा नीचे दिए गए लक्षण भी शामिल हैं :
सिरदर्द
मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द
उल्टी
जी मिचलाना
आंखों में दर्द होना
त्वचा पर लाल चकत्ते होना
ग्लैंड्स में सूजन होना

हालांकि, गंभीर मामलों में रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ (Dengue Haemorrhagic Fever) के होने का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में, रक्त वाहिकाएं (blood vessels) क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और रक्त में प्लेटलेट काउंट की कमी होने लगती है।

ऐसी स्थिति में निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं:
गंभीर पेट दर्द
लगातार उल्टी होना
मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव
मूत्र, मल या उल्टी में खून आना
त्वचा के नीचे रक्तस्राव होना, जो चोट जैसा नजर आ सकता है
सांस लेने में कठिनाई
थकान महसूस करना
चिड़चिड़ापन या बेचैनी

कौन-से टेस्ट
अगर तेज बुखार हो, जॉइंट्स में तेज दर्द हो या शरीर पर रैशेज हों तो पहले दिन ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए। अगर लक्षण नहीं हैं, पर तेज बुखार बना रहता है तो फिजिशियन के पास जरूर जाएं। शक होने पर डॉक्टर डेंगू की जांच कराएगा। डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस 1) किया जाता है। इस टेस्ट में डेंगू शुरू में ज्यादा पॉजिटिव आता है, जबकि बाद में धीरे-धीरे पॉजिविटी कम होने लगती है।  डेंगू की जांच कराते हुए वाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउंट और अलग-अलग काउंट करा लेना चाहिए। इस टेस्ट में प्लेटलेट्स की संख्या पता चल जाती है। डेंगू के टेस्ट ज्यादातर सभी अस्पतालों और लैब्स में हो जाते हैं।ये टेस्ट खाली या भरे पेट, कैसे भी कराए जा सकते हैं।

प्लेटलेट्स की भूमिका
आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं। अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स नीचे ही जाएं। प्लेटलेट्स अगर 50,000 से कम हैं तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए। अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिंग नहीं होती। डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है, जिससे बॉडी में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। अगर प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे हैं, मसलन सुबह एक लाख थे और दोपहर तक 50-60 हजार हो गए तो शाम तक गिरकर 20 हजार पर पहुंच सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर प्लेटलेट्स का इंतजाम करने लगते हैं ताकि जरूरत पड़ते ही मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाए जा सकें। प्लेटलेट्स निकालने में तीन-चार घंटे लगते हैं।

इलाज
-अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है।
-डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले सकते हैं।
-एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें। इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।

– डेंगू के दौरान बुखार के लिए बाज़ार में मिलने वाली पैरासिटामॉल ही लें, किसी भी अन्य दवा का सेवन बिना डॉक्टरी सलाह लिए न करें।

-अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें।
-सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है।
-मरीज को आराम करने दें।

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