
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय सहित इन 7 विश्वविद्यालयों ने 3 साल से पीएचडी एडमिशन नहीं






जयपुर। शोध विश्वविद्यालयों का मूल काम माना जाता है, लेकिन प्रदेश के विश्वविद्यालय इसी को लेकर गंभीर नही हैं। प्रदेश के करीब 7 विश्वविद्यालय ऐसे हैं जिनमें 3-4 साल से पीएचडी में एडमिशन ही नही हुए हैं। इसके पीछे विश्वविद्यालय शिक्षकों की कमी और ट्रांसफर हो जाने का हवाला दे रहे हैं। प्रदेश का सबसे बड़ा राजस्थान विश्वविद्यालय जहां 2019 और 2020 का एंट्रेंस टेस्ट अब कराने जा रहा है, वहीं जोधपुर विश्वविद्यालय ने करीब 3 साल बाद अब एंट्रेंस टेस्ट कराया है।
आरयू के अलावा प्रदेश के एकमात्र संस्कृत विश्वविद्यालय जगद्गुरू रामानंदाचार्य संस्कृत विवि, महर्षि दयानंद सरस्वती विवि अजमेर, राजर्षि भृर्तहरि मत्स्य विवि अलवर, महाराजा गंगासिंह विवि बीकानेर, महाराजा सूरजमल बृज विवि भरतपुर सहित अन्य विश्वविद्यालयों ने करीब 3 साल से पीएचडी में एडमिशन नही कराए हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में 28 सरकारी विश्वविद्यालय हैं, जिनमें 11 सामान्य शिक्षा के अलावा एग्रीकल्चर, टेक्निकल, जर्नलिज्म, लॉ, हेल्थ साइंस विश्वविद्यालय शामिल हैं।
एमडीएस विश्वविद्यालय अजमेर में 3 साल से ज्यादा समय बीत गया, लेकिन पीएचडी में एडमिशन नही कराए गए। कार्यवाहक कुलपति पी सी त्रिवेदी का कहना है कि अब कन्वीनर बनाया गया है। जल्द एडमिशन के लिए एंट्रेंस होगा। गोविंद गुरू ट्राइबल विश्वविद्यालय ने करीब 3 साल बाद हाल ही में पीएचडी में एडमिशन कराए हैं।
कोटा विश्वविद्यालय में हाल ही में एंट्रेंस टेस्ट हुआ है। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर में 2018 के बाद पीएचडी में एडमिशन नही हुए। जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में अंतिम बार 2018 में प्रीपीएचडी के लिए आवेदन मांगे थे।
आवेदन लिया, एडमिशन नहीं
मत्स्य यूनिवर्सिटी, अलवर में 2018 के बाद पीएचडी में एडमिशन नही हुए। पीएचडी कराने के लिए शिक्षकों की कमी हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी ने पीएचडी में एडमिशन के लिए 2 साल पहले आवेदन मांग लिए, लेकिन टेस्ट ही नही कराया। आवेदन करने वाले यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहे हैं। शेखावाटी विश्वविद्यालय में स्थापना के बाद पीएचडी में एक एंट्रेंस करवाया गया है।
प्रदेश के 29 में से 2 विवि के पास नैक ग्रेड बची
शोध में फिसड्डी रहने से प्रदेश के विश्वविद्यालय नैक ग्रेड व अन्य रैंकिंग से लेकर सरकार से मिलने वाले फंड के मामले में भी पिछड़ रहे हैं। राजस्थान के 29 में से सिर्फ 2 स्टेट यूनिवर्सिटी के पास नैक ग्रेड बची है। यूजीसी के शोधगंगा पोर्टल पर मात्र 10 विश्वविद्यालयों के पीएचडी थिसिस अपलोड हैं। शोध के लिए केन्द्र व राज्य सरकार से मिलने वाला फंड खर्च नही हो पा रहा, लाखों रुपए लैप्स हो चुके हैं।


