राजस्थान बजट २०२२ कल, बजट को लेकर शिक्षा जगत से क्या है अपेक्षाएं ? देखिए ये रिपोर्ट - Khulasa Online राजस्थान बजट २०२२ कल, बजट को लेकर शिक्षा जगत से क्या है अपेक्षाएं ? देखिए ये रिपोर्ट - Khulasa Online

राजस्थान बजट २०२२ कल, बजट को लेकर शिक्षा जगत से क्या है अपेक्षाएं ? देखिए ये रिपोर्ट

खुलासा न्यूज, बीकानेर।  गहलोत सरकार के तीसरे कार्यकाल का चौथा बजट 23 फरवरी बुधवार को पेश होगा।  इस बजट को लेकर शिक्षा जगत की अपेक्षाएं काफी ज्यादा हैं. जिसकी वजह है कि राज्य में शिक्षा को लेकर बढता सरकार का फोकस और एजुकेशन सिस्टम में किए जा रहे नवाचार ने स्कूल से लेकर कॉलेज शिक्षा में उम्मीदें बढाई हैं. राज्य के बजट की मोटी राशि शिक्षा पर खर्च की जाती हैं. लेकिन इससे जुड़ा वर्ग चाहता है कि बजट का सही तौर पर उपयोग जरूरी है. साथ ही सरकार का शिक्षा पर जोर होने से बजट में नई घोषणाओं की आस भी बनी हुई हैं.

केन्द्र सरकार के बजट के बाद अब बारी है प्रदेश में गहलोत सरकार के बजट के पिटारे के खुलने की. राज्य  बजट के इस पिटारे से हरेक तबका अपनी उम्मीदें संजोए बैठा हैं. इसी में प्रदेश की शिक्षा जगत से जुड़ा हर वर्ग भी अपेक्षा रखे हुए हैं. बीते दिनों बजट पर हुई चर्चा में गहलोत सरकार को शिक्षा जगत से जुड़े लोगों ने अपने-अपने सुझाव सरकार के समक्ष रखे हैं. जिसमें खास तौर पर सरकारी स्कूलों की बदलती तस्वीर को जनता और भी निखरते हुए देखना चाहती हैं. जिसके लिए बहुत जरूरी है कि सरकारी विद्यालयों का भौतिक संसाधनों में बढोतरी की जाए. क्लासरूम, लैब, लाइब्रेरी से लेकर स्कूलों को हाईटेक और डिजिटलाइजेशन पर भी जोर देने पर काम करना होगा. शिक्षक संगठनों के द्वारा दिए गए सुझावों में यह भी बताया गया कि सत्रह सौ विद्यालय भवन विहिन है, जिनके लिए भवनों की व्यवस्था होनी चाहिए. पहले से संचालित महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों को अलग से बजट दिया जाना जरूरी होगा. गर्ल्स  स्कूल को इसमें मर्ज नहीं करके नए अंग्रेजी स्कूल तैयार करने होंगे साथ ही उनमें प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती भी की जानी चाहिए. शिक्षक संगठनों ने प्रदेश के शिक्षा विभाग में अल्प मानदेय में लगे कर्मचारियों के मानदेय में बढोतरी और नियमितिकरण की घोषणा की उम्मीद बजट में संजोई हैं. इसी के साथ नीतिगत मसले पर शिक्षक वर्ग चाहता है कि स्थानांतरण की नीति को इसी बजट सत्र में लागू किया जाना चाहिए. शिक्षाविदों का का मानना है कि संस्कृत शिक्षा में दस प्रतिशत बजट दिया जाना चाहिए. क्योंकि संस्कृत में नामांकन बेहतर है लेकिन इसके अनुरूप शिक्षक नहीं है और  बजट पर्याप्त रूप से नहीं दिया जा रहा हैं.

अभिभावकों का कहना है कि प्रदेश में गार्गी पुरस्कारों की राशि के बाद भी समय पर वितरण नहीं किया जाना गलत है. क्योंकि शिक्षा विभाग में इसका बजट अलग से दिया जाता हैं. इसी तरह प्रदेश में अंग्रेजी माध्यमों की संख्या बढाने और नर्सरी स्कूल खोलने के साथ ही उन्हें पर्याप्त बजट राशि से मजबूत करने की मांग अभिभावक वर्ग करता हैं. ताकि निजी विद्यालयों में मोटी फीस चुकाने पर पैरेंट्स को मजबूर नहीं होना पड़े. अभिभावक चाहते है कि निजी स्कूलों के फीस संबंधी मामलों की समस्याओं का निदान भी किया जाए और प्रावधान हो कि सरकारी स्कूलों को कैसे बेहतर बनाया जा सकता हैं. इस पर जरूर फोकस किया जाना चाहिए. ग्रामीण क्षेत्र की स्कूलों के लिए अभिभावक अलग से घोषणाओं की मांग करते है.

बहरहाल, स्कूली शिक्षा से लेकर कॉलेज शिक्षा तक की बात की जाए तो राज्य के आगामी बजट से उम्मीदें कई हैं. हालांकि पिछले बजट में भी काफी घोषणाएं की गई. लेकिन शिक्षा से जुड़े हर वर्ग की उम्मीदें है कि पिछली घाोषणाओं को पूरा करने के साथ नई घोषणाओं में भी इन अपेक्षाओं को शामिल किया जाए और इन्हें लागू करने पर भी गंभीरता से ध्यान दिया जाए ताकि राज्य की शिक्षा में चार चांद लगाए जा सके.

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