
कलक्टर कुमारपाल गौतम के बारे में अब होने लगी ये चर्चा, खुलासा की टीम ने टटोली लोगों की नब्ज






बीकानेर। कोई भी अधिकारी आता है,वो पहले पहले ही एक्शन मोड में होते है। फिर शहर की तासीर के अनुसार ढल जाते है। हमारे जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम भी लगता है अब ऐसे ही हो गये है। कुछ ऐसी ही चर्चाएं अब अनेक मोहल्लों,पाटों,पान व चाय की दुकानों पर सुनी जा सकती है। कारण स्पष्ट करते हुए एक नागरिक ने बताया कि जब नये नये आये तो शहर की परिक्रमा को निकलकर बदहाली का हाल जानते। ध्यान में आने वाली समस्या पर संज्ञान लेते। दोषियों पर तुरंत कार्यवाही क रते। यहीं नहीं अवैध रूप से काम कर रहे कारोबारियों को भी वैध तरीके से धंधा करना सीखा दिया। पर अब क्या? स्थिति वहीं ढाक की तीन पात।
खुलासा की टीम ने टटोली लोगों की नब्ज
शहर के अलग अलग वार्डों व पान-चाय और खान-पान की दुकानों पर खुलासा की टीम ने जब लोगों की नब्ज को टटोला तो जिले के प्रशासनिक अधिकारियों पर लोग भड़ास निकालते दिखे। लोगों का कहना था कि पहले से ही पंगु जिला प्रशासन में जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम एक आशा की किरण बनकर आएं तो एक आस बंधी थी कि शायद कुछ बदलाव होगा और शहर की कायाकल्प होगी। परन्तु समय बीतने के साथ ही जिला कलक्टर पर बंद कमरों में बैठकें कर सरकारी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने तथा ख्याली पुलाव बनाने वाले अधिकारी की श्रेणी में आने लगे। जब हमने लोगों से जाना की आखिर वे ऐसा क्यों मानते है। तो उनका कहना था कि शहर की सफाई के हाल, आठ बजे बाद खुली शराब की दुकानें,जगह जगह जमे आवारा पशुओं के झुंड,,खाद्य सामग्री में मिलावट का जोर,पीबीएम में बदहाली का आलम,पीबीएम चिकित्सकों की मनमर्जी,पस्त यातायात व्यवस्था और विभागों के अधिकारियों द्वारा आमजन के काम नहीं करने की जो शिकायतें पहले थी। अब वे जस की तस नजर आने लगी है। मंजर ये है कि समाचार पत्रों या न्यूज पोर्टलों में प्रकाशित समाचारों की ओर भी प्रशासन की ध्यान नहीं जा रहा है। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि अब प्रशासन पहले की तरह कागजी घोड़े दौड़ा रहा है।
कार्यभार ग्रहण के बाद की थी दौड़ धूप,पर अब ऐसा नहीं
चाय की दुकान पर बैठे एक युवा राजेश स्वामी ने कहा जिला कलक्टर साहब जब नये नये आएं तब कभी पैदल तो कभी साईकिल पर शहर के हालात जानने निकल पड़ते थे। दिन देखते थे न रात। बस एक ही धुन में शहर की कायाकल्प की बात कहते हुए काम क रते दिखते थे। जिससे अच्छा भी लगता कि कोई अधिकारी तो आया शहर की सुध लेने वाला। काम नहीं करने वाले को तुरन्त निलंबित किया जाता या कारण बताओं नोटिस मिलता। परन्तु अब ऐसा नहीं। तो सदानंद कहते है कि शहर वापिस उसी राह पर लौट आया। वैसे ही गायों को चारा देने वाले गाड़े लगने लगे,सड़कों पर भवन सामग्री का सामान बिकने लगा और उसी तरह रात को आठ बजे बाद खुलेआम शराब बेची जा रही है। इतना ही नहीं शराब की ब्रांचे तक बैखोफ शराब बेच रही है।
नहीं मानते विभाग के अधिकारी
चायपट्टी में बैठे एक अधेड़ बंशीलाल ने तो यहां तक कह दिया कि नये नये एक्टिव रहे जिला कल क्टर की शिथिलता को अब तो विभाग के अधिकारी भी भांप गये है। न तो निगम वाले सुनते है और न ही न्यास वाले। वैसे ही सफाई कर्मचारी काम रहे है जैसे पहले करते थे। तो खुले में आज भी आवारा पशु खुल रहे है। जिनको निगम ने पकड़ा था। न्यास में कर्मचारी अपनी मर्जी से काम करते है। यहां तो कमीशन खोरो की जमात बैठी है। आम नागरिक की तो क्या अब तो आप जैसे पत्रकारों की भी सुनवाई नहीं होती भाई साब।


