
गहलोत सरकार का किसान हित में बड़ा कदम, किए 4 बड़े निर्णय





जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर आज राज्य सरकार ने किसानों के हित में 4 बड़े निर्णय किए हैं. विधानसभा से केन्द्रीय कृषि कानूनों में संशोधन करते हुए विधेयक पारित किए गए हैं. विधानसभा सदन में जब विधेयक पारित किए गए तो तर्क यही था कि लघु और सीमांत किसान बड़ी कम्पनियों से मोलभाव के लिए सक्षम नहीं होते, ऐसे में उनके हितों की रक्षा करना राज्य सरकार का दायित्व है. विधानसभा में केन्द्रीय कृषि कानूनों में किसानों के हितों के लिए पर्याप्त नियम नहीं होने की बात कही गई. कौंन-कौंन से कानून हुए पास, इनसे किसानों को किस तरह मिलेगा लाभ, देखिए ये खास रिपोर्ट.केन्द्र सरकार द्वारा संसद में सितंबर माह में लाए गए केन्द्रीय कृषि कानूनों का देश के कई राज्यों में विरोध हो रहा है. राजस्थान में भी किसानों द्वारा इन कानूनों को लेकर कई जगह विरोध किए गए हैं. राज्य सरकार ने आज विधानसभा में इन कानूनों में संशोधन के लिए विधेयक पारित किए हैं. राज्य सरकार ने किसान कानूनों से जुड़े 4 विधेयक आज विधानसभा में पारित किए हैं. इन विधेयकों के जरिए केन्द्रीय कृषि कानूनों में संशोधन किया गया है और किसानों के हित को बरकरार रखा गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि अब प्रदेश में किसानों की उपज की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य या उससे ज्यादा की दर पर ही होगी. केन्द्रीय कानून के तहत प्रायोजक कम्पनियां यदि किसान से केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमतों पर करार करेंगी तो ये करार मान्य नहीं होंगे. यानी अब प्रदेश के किसानों को अब अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर या उससे अधिक राशि मिलना तय है.
किसानों, कृषि श्रमिकों और कृषि से जुड़े अन्य लोगों की आजीविका के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रभारी मंत्री के तौर पर 2 विधेयकों को प्रस्तावित किया है. मुख्यमंत्री ने विधेयकों को प्रस्तावित करते हुए कहा है कि केन्द्रीय अधिनियम में कृषकों की सुरक्षा नहीं है. वर्ष 2015-16 की कृषि जनगणना के मुताबिक 86.2 प्रतिशत कृषक 5 एकड़ से कम की भूमि स्वामित्व वाले हैं और इनमें भी अधिकांश 2 एकड़ से कम भूमि के स्वामित्व वाले हैं. ऐसे कृषकों की सौदेबाजी के लिए बहुल मंडियों तक पहुंच नहीं होती. केन्द्रीय कानून में इन किसानों के संरक्षण के लिए जरूरी नियम नहीं बनाए गए हैं, इसलिए राज्य सरकार द्वारा ये विधेयक लाए गए हैं.
विधेयक संख्या 1:
– कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020
– अब किसानों का उत्पीड़न किया तो होगी 7 साल तक जेल
– यदि कोई व्यापारी/कंपनी कृषकों का उत्पीड़न करती है तो होगी कार्रवाई
– कम से कम 3 वर्ष और अधिकतम 7 वर्ष तक कारावास
– व्यापारी पर उत्पीड़न के आरोप में 5 लाख का जुर्माना लगेगा
– यदि कंपनी दोषी है, तो समस्त निदेशक माने जाएंगे दोषी
– सीमित दायित्व की फर्म होने पर सभी भागीदार होंगे दोषी
– यदि व्यापारी करार के तहत फसल की उपज नहीं खरीदता
– या खरीदी उपज का 3 दिन में किसान को भुगतान नहीं करता
– उस स्थिति में माना जाएगा कृषक का उत्पीड़न
विधेयक संख्या 2:
– कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020
– किसी फसल के विक्रय के लिए करार तब तक विधिमान्य नहीं होगा
– जब तक करार में तय कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक न हो
– यानी किसानों को MSP के बराबर या अधिक कीमत जरूर मिलेगी
– करार के तहत बेची फसल पर राज्य की फीस या उपकर लागू होंगे
– राशि मंडियों के विकास पर खर्च होगी, फीस किसानों से वसूल नहीं की जाएगी
– करार के तहत किसानों की जमीन पर कब्जा नहीं कर सकेगी कंपनी
– प्रायोजक कम्पनी को करार के तुरंत बाद छोड़ना होगा अपना कब्जा
– यदि कृषि करार पूर्ण होने के बाद भी कम्पनी का रहता है कब्जा
– तो कंपनी उस किसान को देगी प्रति बीघा 1000 रुपए राशि रोजाना
– विवाद की स्थिति में मंडी समिति किसान को मुआवजा दिलाएगी
– जरूरत पड़ने पर 24 घंटे में पुलिस की मदद से जमीन से कब्जा हटाया जाएगा
विधेयक संख्या 3:
– आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020
– कृषि उपज की जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए किया गया संशोधन
– कालाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई का अधिकार राज्य को नहीं
– अब तक केन्द्रीय अधिनियम 1955 के तहत केन्द्र के पास था अधिकार
– इस कारण आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में लागू किए गए उपबंध
विधेयक संख्या 4:
– सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020
– सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 को राज्य में लागू करने के लिए विधेयक
– किसानों की कुर्क की जा सकने वाली सम्पत्ति को लेकर संशोधन
– यदि कर्जदार किसान है तो 5 एकड़ तक की कृषि भूमि कुर्क नहीं होगी
– हालांकि उसकी भूमि, गृह या अन्य निर्माण, माल, धन, बैंक नोट, चैक, विनिमय पत्र की बिक्री हो सकेगी
– हालांकि शिल्पी के औजार, कृषक के पशु, खेती के उपकरण कुर्क नहीं होंगे
इन कानूनों को लेकर देशभर में किसानों में आक्रोश:
राज्य सरकार ने इन विधेयकों को लाते हुए यह तर्क दिया है कि केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए इन कानूनों को लेकर देशभर में किसानों में आक्रोश है. किसानों के हित के लिए कानून में उपयुक्त प्रावधन नहीं हैं. चूंकि सुप्रीम कोर्ट के जयंत वर्मा बनाम भारत संघ के निर्णय में भी यह स्पष्ट है कि कृषि पूर्ण रूप से राज्य सरकार का विषय है. इसलिए कृषकों व कृषि श्रमिकों के हितों की रक्षा करना राज्य सरकार का कर्तव्य है. इस कारण केन्द्र सरकार के इन कानूनों में संशोधन करके विधेयक लाए गए हैं. विधानसभा में पारित इन विधेयकों पर अब राज्यपाल कलराज मिश्र की मंजूरी जरूरी होगी. राज्यपाल अपने विवेकाधिकार से इसे राष्ट्रपति तक भी भेज सकते हैं. मंजूरी मिलने पर राज्य सरकार के राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से सभी 4 विधेयक कानून बन जाएंगे.


