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ऑक्सीजन की कमी को लेकर राजस्थान सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

जयपुरः राजस्थान में बढ़ते कोरोना संक्रमण और अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्यां के कारण सरकार चिंतित है. वहीं बढ़ते मरीजों के कारण सरकार के सामने उन्हे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध हो सके इसके लिए लगातार केन्द्र सरकार से मांग कर रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लगातार पीएम मोदी से बात कर राज्यों को कोरोना मरीजों के अनुपात में ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की मांग की है, लेकिन इसके बाद भी जब सरकार की मांग पूरी नहीं हुई तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा है. जानकारी के अनुसार राजस्थान सरकार प्रदेश में हो रही कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए एक हलफनामा पेश किया है.

18 मई तक 560 टन अतिरिक्त ऑक्सीजन आवंटित करने की मांगः
जानकारी के अनुसार प्रदेश में विकराल होती कोरोना महामारी से ऑक्सीजन संकट गहराता जा रहा है. राजस्थान सरकार इसी ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. राजस्थान सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा पेश किया है. इसमें बताया गया है कि केन्द्र सरकार से 18 मई तक 560 टन अतिरिक्त ऑक्सीजन आवंटित करने की मांग की गई थी, जिसमें 200 टन जामनगर की रिलायंस रिफाइनरी से, ऑक्सीजन उठाने के लिए 26 टैंकर तत्काल व कुल 55 क्रायोजेनिक टैंकर दिलाने की मांग की गई है. इसमें बताया गया है कि  यदि राज्य को तत्काल पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिली तो लोगों का जीवन बचाना मुश्किल होगा. सरकार ने कोर्ट से केन्द्र सरकार को उचित निर्देश देने की मांग की है.

ऑक्सीजन टैंकर रोकने के आरोप से किया इनकारः 
जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा पेश किए गए हलफनामा में बताया गया है कि प्रदेश में 18 मई तक एक्टिव केसेज की संख्या 2.85 लाख तक पहुंचेगी, हालांकि हलफनामे में ऑक्सीजन टैंकर रोकने के आरोप से इनकार किया गया है, ये टैंकर राजस्थान में पंजीकृत थे, जिन्हे आपदा प्रबंधन कानून के तहत अधिग्रहीत किया था. बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सुओ-मोटो मामले में हलफनामा दिया है. वहीं यह भी बताया जा रहा है कि वरिष्ठ न्यायाधीश डी.वाई.चन्द्रचूड़ के कोरोना संक्रमित होने के कारण मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी और अभी अगली सुनवाई की तिथि तय नहीं है.

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