अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर का दावा- कोरोना वैक्सीन 95 फीसदी से ज्यादा कारगर, बुजुर्गों पर भी असरदार

अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर का दावा- कोरोना वैक्सीन 95 फीसदी से ज्यादा कारगर, बुजुर्गों पर भी असरदार

अमेरिका स्थित दिग्गज फार्मा कंपनी फाइजर (pfizer) और जर्मन पार्टनर बायोएनटेक (BioNTech) ने बुधवार को अंतरिम परिणामों का एक दूसरा बैच जारी किया, जिसमें कहा गया है कि 65 साल से ऊपर के लोगों में उसकी कोरोना वैक्सीन 94 फीसदी तक प्रभावकारी है. जबकि अन्य लोगों पर वैक्सीन 95 प्रतिशत से ज्यादा तक कारगर है.

कोरोना वैक्सीन को लेकर फाइजर ने कहा कि 65 साल से ऊपर के लोगों में कोरोना वैक्सीन 94% कारगर है. यह कोरोना वैक्सीन फाइजर और बायोएनटेक द्वारा तैयार की गई है जो 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में 94% स्तर तक रक्षा करती है.

फाइजर और जर्मन पार्टनर बायोएनटेक ने आज अंतरिम परिणामों का एक दूसरा बैच जारी किया, जिसमें दावा किया गया कि कोरोना वायरस की उसकी वैक्सीन 95 प्रतिशत तक कारगर है और यह बुजुर्ग लोगों को वायरस का शिकार होने के जोखिम से भी बचाती है.

कंपनी ने कहा, प्राथमिक विश्लेषण से पता चलता है कि वैक्सीन की पहली खुराक के 28 दिनों के अंदर यह अपना प्रभाव दिखाने लगती है. ट्रायल के दौरान कोविड-19 के 170 पुष्ट मामलों का मूल्यांकन किया गया.

फाइजर और बायोएनटेक की ओर से तीसरे चरण के ट्रायल के बीच जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि यह सभी समुदायों और नस्लों के लोगों में समान रूप से अच्छी तरह से काम करता है. कंपनियों का कहना है कि वे अब अमेरिका में आपातकालीन उपयोग के लिए फूड एंड ड्रग ए़डमिनिस्ट्रेशन (FDA) की अनुमति को लेकर आवेदन करेंगे.अगर एफडीए वैक्सीन को हरी झंडी देता है, तो फाइजर संभवतः एफडीए द्वारा अधिकृत कोरोना वैक्सीन के साथ पहली कंपनी बन जाएगी.

कंपनी के मुताबिक यह निष्कर्ष दुनियाभर के 41,000 से अधिक लोगों को दी गई दो खुराक पर आधारित है. पिछले हफ्ते, फाइजर और बायोएनटेक ने प्रारंभिक आंकड़ा जारी किया था जिसमें दिखाया गया कि वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 90% सुरक्षा करती है और सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं थी.

दोनों कंपनियों की ओर से यह घोषणा 9 नवंबर को फाइजर की पहली धमाकेदार घोषणा के एक हफ्ते बाद आई है, जब इसकी ओर से कहा गया था कि इसका वैक्सीन 90 प्रतिशत तक प्रभावी है. पहला परिणाम 43,000 से अधिक वालंटियर्स में से चुने गए 100 से कम संक्रमित मरीजों के विश्लेषण पर आधारित था.

फाइजर और बायोएनटेक ने वैक्सीन बनाने के लिए एमआरएनए (MRNA) तकनीक का उपयोग किया है, जिसका अर्थ है कि वैक्सीन का शॉट लेने से कोविड-19 होने का कोई जोखिम नहीं है.

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