सूरतगढ़ थर्मल की 3 युनिट एलडी के निर्देश पर बंद,अघोषित बिजली कटौती से झुलस रही फसलें

सूरतगढ़ थर्मल की 3 युनिट एलडी के निर्देश पर बंद,अघोषित बिजली कटौती से झुलस रही फसलें

सूरतगढ़। प्रदेश में बिजली संकट के बीच लगातार बिजली उत्पादन में गिरावट हो रही है। वहीं लगातार बढ़ती बिजली की मांग को लेकर पिछले करीब 2 महीने से अघोषित बिजली कटौती हो रही है। बिजली संकट के बीच सूरतगढ़ थर्मल की भी 4 इकाइयां बंद पड़ी हैं। 1500 मेगावाट बिजली उत्पादन वाले सूरतगढ़ थर्मल से महज 375 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। जिससे लगातार प्रदेश में बिजली संकट के बादल छाए हुए हैं।
गौरतलब है कि उतरी भारत को बिजली सप्लाई देने वाले इस पावर प्लांट में 250 मेगावाट की 6 इकाइयां हैं और 660 मेगावाट की 2 इकाइयां स्थापित है, जो कि कुल 2820 मेगावाट बिजली उत्पादन करती हैं। सूरतगढ़ में स्थापित 2820 मेगावाट के इन पॉवर प्लांट से पूरे राज्य में बिजली उत्पादन का 34.4त्न बिजली उत्पादन अकेला सूरतगढ थर्मल करता है। ऐसे में अकेले सूरतगढ़ थर्मल की 5 इकाईयां बन्द होने से राजस्थान में बिजलीं उत्पादन खासा प्रभाव पड़ा है।
सूरतगढ़ थर्मल के चीफ इंजीनियर एसपी बंसल ने बताया कि तीन नंबर इकाई शनिवार सुबह बंद हो गई थी। जिसको तुरंत दुरुस्त करवा दिया गया। लोड डिस्पैच सेंटर से इकाई को दुबारा शुरू नहीं करने के आदेश के कारण इकाई बंद पड़ी है।
वहीं 5 और 6 नंबर इकाई भी तकनीकी कमी के कारण लिए ट्रिप हो गई थी। फिलहाल दोनों इकाइयों में से तकनीकी खामी दुरुस्त कर दी गई है। लेकिन लोड डिस्पैच सेंटर से इन इकाइयों को शुरू करने के आदेश नहीं मिलने पर इनको शुरु नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि 1500 मेगावाट वाली परियोजना की एक नंबर इकाई भी तकनीकी खामी के चलते लंबे समय से बंद पड़ी है। वहीं 1320 मेगावाट बिजली उत्पादन वाले सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की 660 मेगावाट की सातवीं इकाई भी जरनेशन ट्रांसफर तकनीकी खामी के चलते पिछले काफी समय से बंद पड़ी है। ऐसे में 2820 मेगावाट वाली इस परियोजना से महज 920 मेगावाट के करीब ही बिजली उत्पादन हो रहा है।
अघोषित बिजली कटौती से झुलस रही फसलें
वहीं सूरतगढ़ थर्मल के ग्रामीण क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती के चलते किसानों की फसलें चौपट हो रही हैं। इसको लेकर किसान हर दिन आंदोलन कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार बिजली उत्पादन की इकाइयां तैयार होने के बावजूद भी शुरू नहीं कर रही है। ऐसे मे बड़ा सवाल है कि आखिर प्रदेश में कैसे बिजली संकट टलेगा।

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