20 साल से ज्यादा समय से विधानसभा में एक साथ नहीं बैठे 200 विधायक, 199 के फेरे में अटका

20 साल से ज्यादा समय से विधानसभा में एक साथ नहीं बैठे 200 विधायक, 199 के फेरे में अटका

जयपुर। राजस्थान की विधानसभा का रहस्य बीस साल से भी ज्यादा समय से रहस्य बना हुआ है। जब से विधानसभा बनी है तब से यहां पर दो सौ विधायक एक साथ नहीं बैठ सके हैं। पिछली दो सरकारों की बात करें तो दोनों सरकारों में कई बार उप चुनाव तक की नौबत आ गई। लेकिन इस बार तो चुनाव से पहले ही 199 विधायक रह गए। दो सौ विधानसभा सीटों पर होने वाला चुनाव अब एक सीट पर नहीं होगा।
प्रदेश की मौजूदा 15वीं विधानसभा में बीते 4 साल के भीतर 6 विधायकों की मौत हो चुकी है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है इससे पूर्व भी 14वीं विधानसभा के कार्यकाल में विधायक की मौत हुई। कोरोना काल में मंत्री और सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक मास्टर भंवरलाल, राजसमंद से भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी, सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी, वल्लभनगर से कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत और धरियावद से भाजपा विधायक गौतमलाल मीणा का निधन हुआ था।
इन पांच विधायकों का निधन होने के बाद उपचुनाव हुए और पांच नए विधायक चुने गए। मगर संयोग है कि उसके बाद फिर से एक विधायक का निधन हो गया। विधायक भंवर लाल का निधन होने के बाद फिर 199 विधायक रह गए। उसके बाद जब यह संख्या पूरी की गई तो फिर विधायक गुलाब चंद कटारिया को आसाम का राज्यपाल बना दिया तो फिर से 199 विधायक रह गए। पिछली बार वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री कार्यकाल में भी मुण्डावर से भाजपा विधायक धर्मपाल चौधरी का निधन हुआ था।
हवन पूजन की मांग उठा चुके विधायक, पास ही है शमशान भूमि
सरकारी सचेतक रहे कालूलाल गुर्जर ने सरकार से वास्तु दोष दूर करने के लिए हवन कराने की मांग की थी। तत्कालीन विधायक हबीबुर्रहमान का कहना था कि विधानसभा में भूतों का साया होने से यहां कभी भी 200 विधायकों की सीटें पूरी नहीं भरती। इनके अलावा अन्य भी कई नेताओं और मंत्रियों ने यहां हवन पूजन की मांग की है। हांलाकि किसी भी सरकार ने यहां पर पूजा पाठ या हवन नहीं कराए हैं।
7 साल में बनकर तैयार हुई थी नई विधानसभा
राजस्थान विधानसभा का निर्माण 1994 में शुरू हुआ था और मार्च 2001 में यह भवन बनकर तैयार हुआ। यह भवन देश के आधुनिक विधानसभा भवनों में शुमार है। यहां 260 सदस्य बैठने की क्षमता है। इसी तरह की क्षमता वाला एक हॉल पांचवी मंजिल पर भी बना है। यह बात बेहद कम लोगों को पता है कि विधानसभा भवन के निकट ही सटाकर एक श्मशान स्थल है। इस नई बिल्डिंग से पहले यह विधानसभा हवामहल के पास स्थित सवाई मानसिंह टाउनहाल में संचालित होती थी।

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