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रुपया रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर आया:डॉलर के मुकाबले 2 पैसे गिरकर 83.40 पर बंद हुआ, इंपोर्ट से लेकर अमेरिका में पढ़ना महंगा

आज यानी बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 2 पैसे की गिरावट देखने को मिली और यह 83.40 रुपए प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। इससे पहले 5 दिसंबर को डॉलर के मुकाबले रुपया 83.39 के अपने सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ था।

फॉरेन एक्सचेंज ट्रेडर्स के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते डॉलर को सपोर्ट मिल रहा है। कच्चा तेल 76 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। मंगलवार को रुपया 83.38 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

इस वित्त वर्ष अब तक रुपया 1.22% तक कमजोर हुआ
चालू वित्त वर्ष (2023-24) में रुपया करीब 1.22% तक कमजोर हुआ है। वित्त वर्ष 2023-24 की शुरुआत में रुपया 82.39 रुपए प्रति डॉलर पर था, जो अब 83.40 रुपए प्रति डॉलर पर आ गया है।

इंपोर्ट करना होगा महंगा
रुपए में गिरावट का मतलब है कि भारत के लिए चीजों का इंपोर्ट महंगा होना है। इसके अलावा अमेरिका में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है। मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 83.40 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे फीस से लेकर रहना और खाना और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी।

करेंसी की कीमत कैसे तय होती है?
डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो उसे मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिशिएशन। हर देश के पास फॉरेन करेंसी रिजर्व होता है, जिससे वह इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करता है। फॉरेन रिजर्व के घटने और बढ़ने का असर करेंसी की कीमत पर दिखता है।

अगर भारत के फॉरेन रिजर्व में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर होगा तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं।

 

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