महंगे होम और कार लोन से जल्द नहीं मिलेगा छुटकारा, आरबीआई गवर्नर

महंगे होम और कार लोन से जल्द नहीं मिलेगा छुटकारा, आरबीआई गवर्नर

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में इस बात के संकेत दिए हैं कि आगे भी महंगे लोन पर जल्द राहत नहीं मिलने वाली है। मतलब साफ है कि अभी कुछ और समय तक होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन पर बढ़ी हुईं ब्याज दरें देखने को मिल सकती हैं।
इंटरेस्ट रेट्स लंबे समय तक बने रहेंगे हाई
शक्तिकांत दास ने कहा कि अगर यूक्रेन कनफ्लिक्ट जारी रहा तो इंटरेस्ट रेट्स लंबे समय तक हाई बनी रह सकती हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सप्लाई चेन से जुड़े मुद्दों में सुधार हो सकता है। इससे महंगाई में कमी आएगी।
दास ने शनिवार को एक इंटरव्यू में कहा, मैं यह कहना चाहूंगा कि यह फरवरी में होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी मीटिंग के फैसलों को लेकर संकेत नहीं हैं। अगर जियोपॉलिटिकल टेंशन अभी की तरह बने रहती है, तो ब्याज दरें लंबे समय तक हाई ही बनी रहेंगी। ना सिर्फ स् में बल्कि पूरी दुनिया में भी ऐसा हो सकता है।’
ग्लोबल सप्लाई चेन में सुधार,​​​​​​​ महंगाई में आ सकती है कमी
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘लगातार जियोपॉलिटिकल टेंशन के बावजूद ह्यूमन सोसाइटी यह जानती है कि इस नई स्थिति में कैसे एडजस्ट किया जाए। ग्लोबल सप्लाई चेन में पहले से सुधार आया है। साथ ही नए रास्ते बन रहे हैं। दुनिया के देश नए सप्लाई सोर्सेज की तरफ देख रहे हैं। इससे महंगाई में कमी आ सकती है।’
सभी परिस्थितियों के लिए तैयार रहना होगा
शक्तिकांत दास ने कहा कि स्लोडाउन पहले की तुलना में कम गंभीर रह सकता है। उन्होंने कहा, ‘छह महीने पहले सभी ने सोचा था कि यूरोपीय यूनियन और अमेरिका में मंदी आएगी, लेकिन अब चीजें सुधर गई हैं। हालांकि, ब्याज दरों के लंबे समय तक हई बने रहने की अधिक संभावनाएं हैं। अनिश्चितताओं को देखते हुए सभी परिस्थितियों के लिए तैयार रहना होगा।’
पिछले रेट हाइक से महंगाई में कमी आने में 7 से 8 महीने लगेंगे
शक्तिकांत दास के अनुसार, पिछले रेट हाइक से महंगाई में कमी आने में 7 से 8 महीने लगेंगे। उन्होंने कहा, ‘एक आसान परिस्थिति में लिक्विडिटी का प्रवाह तेजी से होता है। लेकिन एक टाइट परिस्थिति में इसमें अधिक समय लगता है। क्रक्चढ्ढ में हमारे रिसर्च का निष्कर्ष है कि प्रभाव को महसूस होने में चार तिमाहियों का समय लगेगा।’
शक्तिकांत दास ने जोर देकर कहा कि क्रक्चढ्ढ को कीमतें बढऩे पर महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाना होती हैं। क्योंकि अगर इकनॉमी स्टेकहोल्डर्स को लगता है कि क्रक्चढ्ढ हाई इन्फ्लेशन के प्रति सहिष्णु है, तो वे लागत को और अधिक बढ़ाते हुए वस्तुओं का मूल्य निर्धारण शुरू कर देंगे।

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