
ईसर जी के साफा बांधने में पुरोहित ने हासिल की महारथ







बीकानेर। होली के दिन से ही शहर में गणगौर पूजन का कार्यक्रम शुुरु हो जाती इसमें कुंवारी व विवाहिता महिलाएं गणगौर का पूजन करती है। इसके साथ साथ बीकानेर में गणगौर के उत्सव को लेकर लड़कियों व महिलाओं में एक अलग ही त्यौहार के रुप में मानते है। अब ईसर व गणगौर भी नई ड्रेसों में दिखाई देते है इसी तरह ईसरजी के सिर पर पाग बांधने में पुष्करण स्टेडियम के पीछे रहने वाले कृष्ण चन्द्र पुरोहित से खुलास ने बात की तो उन्होने बताया कि शहर में प्राय: ईसर जी सिर में साफा, पाग, पगड़ी बांधने का काम वह स्वयं करते है और रोजाना उनके पास करीब 200 के करीब ईसरजी के साफा बांधवाने के लिए महिलाएं आती है अलग अलग के तरह के कपड़ों से बने साफा, पाग व पगड़ी ईसर जी पहनाई जाती है। पुरोहित ईसरजी के साफा नि:शुल्क बांधते है उनका कहना है कि गण्गौर व ईसर शिव पार्वती का रुप है इन दोनों के आर्शीर्वाद से खुब है मेरे तो सौभाग्य है कि ईसर जी के साफा बांधने का मौका मेरे को मिला है। इनके बनाये साफा व अन्य पगडी बीकानेर ही नहीं जैसलमेर, जोध्रपुर, फलौदी, नागौर, कलकत्ता आदि जगहों पर इनके हाथ से बनाये साफा जाते है जहां पर मारवाड़ी रहते है उनकी दुकानें है। इस सीजन में अब तक करीब 15000 हजार साफा, पगडी ईसर जी के बांध चुके है और अभी तक गणगौर के मेले 15 को है तब तक महिलाएं व बालिकाएं आती रहेगी। उन्होंने सुबह से शाम तक आने का कार्यक्रम निरंतर चलता है। पुरोहित ने शहर में 6,9,12,15,18 इंच की बनी गणगौर बनी व 27 इंच के गण्गौर व ईसर भी बने है इन सभी प्रकार के ईसर जी के पगड़ी, पाग पिछले 25 वर्षो से बांधते आ रहे है और आगे भी बांधते रहेंगे।


