ऑनलाइन पोर्टल पर बच्चों के जन्म की सूचना गायब - Khulasa Online ऑनलाइन पोर्टल पर बच्चों के जन्म की सूचना गायब - Khulasa Online

ऑनलाइन पोर्टल पर बच्चों के जन्म की सूचना गायब

बीकानेर। स्थानीय निकायों में जन्म-मृत्यु पंजीकरण की ऑनलाइन आवेदन व्यवस्था आमजन के लिए समस्या बनती जा रही है। ऑनलाइन सूचनाएं अपलोड करने के दौरान बच्चों के जन्म व मृत्यु की सूचनाएं संबंधित चिकित्सालय का चयन करने पर उपलब्ध नहीं होती। ऐसे में उपखंड अधिकारी से आज्ञापत्र जारी करवाना पड़ता है। इसके लिए शपथ पत्र सहित लम्बी प्रक्रिया होने के कारण लोगों का ऑनलाइन आवेदन से मोह भंग होता जा रहा है।
दो माह पहले राज्य सरकार ने बीकानेर सहित प्रदेश के कई स्थानीय निकायों में जन्म-मृत्यु पंजीकरण सहित निर्माण स्वीकृति, यूडी टैक्स आदि के लिए ऑनलाइन व्यवस्था लागू कर दी, परन्तु व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण अब भी अधिकांश लोग इस नवाचार से अनभिज्ञ है। इसका अंदाजा नगर निगम में जन्म-मृत्यु पंजीकरण के लिए लगने वाली कतारों से लगाया जा सकता है। ऑनलाइन आवेदन की सुविधा की जानकारी रखने वालों के लिए आवश्यक दस्तावेजों की खानापूर्ति मुश्किल हो रही है। यही कारण है कि ऑनलाइन आवेदन करने के बाद भी लोग ऑफलाइन प्रमाण-पत्र बनवाकर जा रहे हैं। इससे उन्हें दोहरे शुल्क का नुकसान हो रहा है।
घर पर प्रसव में अनिवार्य
स्थानीय निकाय में ऑफलाइन जन्म-मृत्यु के आवेदन में घर पर प्रसव होने अथवा मृत्यु होने के मामलों में ही आज्ञा पत्र की अनिवार्यता लागू की गई है। इसके लिए आवेदक को शपथ पत्र के साथ पार्षद से प्रमाण-पत्र व दो पड़ौसियों का शपथ पत्र भी देना होता है।
एक माह में कैसा आज्ञा पत्र
ऑनलाइन जन्म-मृत्यु पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेजों में उपखंड अधिकारी के आज्ञापत्र की बाध्यता लागू की गई है, जबकि संस्थागत प्रसव व चिकित्सालय में हुए मृत्यु के मामलों में एक माह तक संबंधित संस्थाएं प्रमाण-पत्र जारी करती है और उसके बाद स्थानीय निकाय द्वारा प्रमाण-पत्र जारी किए जाते हैं। इसमें किसी प्रकार के आज्ञा पत्र की आवश्यकता नहीं पड़ती। आवेदन को जन्म की तारीख व संस्था के नाम के साथ माता-पिता का नाम आवेदन में लिखना पड़ता है, जिससे ऑनलाइन डाटा के आधार पर हाथो-हाथ प्रमाण-पत्र जारी कर दिया जाता है। यही स्थिति मृत्यु प्रमाण-पत्र के मामलों में है, जहां मृत्यु स्थल के साथ मृत्यु होने वाले व्यक्ति का नाम व तारीख का उल्लेख करने से प्रमाण-पत्र बनता है, जबकि ऑनलाइन आवेदन में आज्ञा पत्र की बाध्यता होने के कारण इसे बनाने के लिए कई चक्कर निकालने पड़ते हैं। यही कारण है कि स्थानीय निकाय में दो माह में ऑनलाइन आवेदनों की संख्या दहाई का आंकड़ा भी पूरा नहीं कर पाई है।

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