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बात विधानसभा चुनाव की : कोलायत विधानसभा में कौन किस पर पड़ रहा भारी, किसके सिर सज सकता है जीत का ताज, देखें यह रिपोर्ट

पत्रकार, कुशाल सिंह मेड़तिया की विशेष रिपोर्ट

खुलासा न्यूज, बीकानेर। इसी साल होने जा रहे राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर नेताओं ने भाग दौड़ शुरू कर दी है। बीकानेर विधानसभा की कोलायत सीट की अगर बात की जाए तो मंत्री भंवर सिंह भाटी ने भले ही काम करवाया हो लेकिन क्षेत्र के लोगो मे उनका विरोध लगातार बढ़ रहा है राजनीतिज्ञों की माने तो अगर देवी सिंह भाटी यहां कमर कस लेते है और चुनाव से पहले किसी भी तरह की कोई विवादित टिपणी करने से बच जाए तो मंत्री भंवर सिंह भाटी के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं, क्योंकि कभी भंवर सिंह भाटी के सिपहसालार रहे हैं बरसलपुर पूर्व सरपंच श्याम सिंह भाटी, कोलायत पूर्व सरपंच देवी सिंह रावलोत, नरेंद्र सिंह भाटी हदा सरपंच,अक्कासर सरपंच प्रभु राम गोदारा और सबसे ज्यादा चुनाव मैनजमेंट में और फाइनेंस मैनजमेंट को संभालने वाले भागीरथ तेतरवाल जैसे भरोसेमंद व्यक्तियों का उनकी टीम में नहीं है। इसका खामियाजा भाटी को चुनाव परिणाम में भुगतना पड़ सकता है। हालांकि चर्चा यह भी है कि भंवर सिंह पूर्व से भी टिकट की दावेदारी कर रहे है। अगर भाटी पूर्व से चुनाव लड़ते है यहां से उनके लिए चुनाव निकलना मुश्किल होगा। क्योंकि मंत्री रहते हुए उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कोई विकास कार्य नहीं करवाया।

फिलहाल कयास यह भी लगाये जा रहे है कि चुनाव के ऐनवक्त देवीसिंह भाटी को भाजपा से टिकट दिया जा सकता है, लेकिन भाजपा से देवी सिंह भाटी का लडऩा यानि एक बार फिर हार का सामना करना पड़ सकता है। उनके लिए इस बार निर्दलीय चुनाव लडऩा बेहतर माना जा रहा है। क्योंकि भंवर सिंह भाटी के पास जाट व एससी/एसटी का बड़ा वोट बैंक है, ऐसे में अगर भाजपा से किसी ऐसे नेता को टिकट दे जो मेघवाल समाज से हो या कुम्हार समाज से हो, ऐसे में वोट बंट जाएंगे। इसी बीच खबर यह भी है कि यहां से राजपूत समाज से भी दो युवा नेताओं ने चुनावी मैदान में अपनी ताल ठोक दी है, जो समाज के वोटों को सीधे तौर पर प्रभावित करेंगे। जिनमे भूप सिंह भाटी की दावेदारी भी मजबूत नजर आती है, क्योंकि जब पहली बार भंवर सिंह को कांग्रेस ने टिकट दी उस वक्त इस रेस में सबसे मजबूत और पहली दावेदारी भूप सिंह भाटी की थी। दूसरे प्रत्याशी श्याम सिंह हाडला है जो पिछले काफी समय से कोलायत में एक्टिव नजर आ रहे है। भाजपा से इस बार सुरेश बिश्नोई भी पिछले 5 साल से एक्टिव है और जनता के बीच मुद्दों की राजनीति कर रहे है। इस बीच अन्य पार्टियों की हलचल ने राजनीति सरगर्मियों को यहां से तेज कर दिया। सूत्रों की माने तो यहां आरएलपी, आम-आदमी और बसपा पार्टी भी एससी या एसटी के दावेदार चुनावी मैदान में उतारेगी। हालांकि ये भले ही चुनाव नहीं जीत सकते, लेकिन वोटों को काफी हद तक प्रभावित करेंगे।

राजनीति के जानकारों की माने तो जो नुकसान होगा इन वोटों का वो सिर्फ मंत्री भंवर सिंह भाटी का होगा क्योंकि ये सारे वोट भंवर सिंह के होंगे देवी सिंह भाटी के मूल वोट में कोई नुकसान नही होगा ।क्योकि यह आरएलपी जाट प्रतियासी पे दाव खेल सकती है इसमें नुकसान सिर्फ मंत्री भाटी को ही होगा। यह बिल्कुल उसी तरीके से हैं जो पिछले सात बार देवी सिंह भाटी विधायक बने वो भी पट्टे के क्षेत्र से। वहां से देवी सिंह भाटी हमेशा एक बड़ी लीड लेकर आगे रहते थे, लेकिन भंवर सिंह भाटी लगातार वहां फर्जी वोटिंग की शिकायत करते रहते थे, जिसका परिणाम यह निकला कि धीरे-धीरे लीड कम होती गई और परिणाम भंवर सिंह भाटी के पक्ष में होते चले गए। लेकिन कोलायत और नोखा की बात की जाए यहां पर बहुत बड़ा उलटफेयर भी हो सकता है। दरअसल, यहां रामेश्वर डूडी देवी सिंह भाटी से हाथ मिला सकते हैं, क्योंकि उनकी भंवर सिंह भाटी से दूरी जग जाहिर है, ऐसे में कोलायत विधानसभा क्षेत्र में देवीसिंह भाटी को डूडी का सहयोग मिल सकता है। वहीं, नोखा में देवी सिंह भाटी राजपूत वोटो में सेंधमारी करके रामेश्वर डूडी को फायदा पहुंचा सकते हैं। हालांकि ये सब चुनाव से पहले चर्चाओं के दौर है। सच तो है यह है कि राजनीति संंभावनाओं की कला है। ऐसे में कौन किस पर भारी पड़ेगा और कौन पहनेगा जीत का ताज, यह तो आगामी समय ही बताएगा।

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