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मृत पशुओं की लाशें बताती है कि यहां ईलाज के नाम पर होती है दुर्दशा, गवाही दे रहा यह वीडियो

खुलासा न्यूज, बीकानेर। राजकीय वेटरनरी हॉस्पिटल बीकानेर दशा और दुर्दशा , जिसका देश विदेश में काफी नाम है। वैसे तो सरकार ने राजकीय बीकानेर वेटरनरी हॉस्पिटल के लिए करोड़ों का बजट पारित किया और इस हॉस्पिटल ने देश विदेश में खूब नाम किया और हजारों पशु डॉक्टर यहां से प्रशिक्षित होकर देश विदेश में अपना नाम और काम कमा रहे है, राजस्थान का पहला पशु चिकित्साल का गौरव प्राप्त है। मगर वास्तिवक हालात इसके विपरीत है, घोर विपरीत है, जिसका वीडियो गवाही दे रहा है। इस दुर्दशा के हालात जानने के लिए कोई प्रशासनिक अधिकारी या राजनेता यहां आता ही नहीं है क्योंकि ये पशु चिकित्साल है और यहां वोट नहीं है और न ही पब्लिक की वाहवाही, यहां न फ़ोटो सेशन होता है, यहां होता है तो केवल और केवल मूक बधिर पशु की पीड़ा का मौन चीत्कार या उनकी आंखों से बहते उनके दर्द के आंसू जो इन कर्तव्यों से विमुख पशु डॉक्टरों के लिए बदुआएं देते। यहां के अधिकारियों की लापरवाही इतनी है कि पिछले सात दिन से हॉस्पिटल के आगे मृत गोवंश पड़ा है, जो सड़ गया है उसका शरीर फूल गया है, भयंकर संडाद मार रहा है, लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन को दिखता ही नहीं है, जो नयन सुख अंधे बने है। जिनको केवल और केवल करोड़ों के बजट की बंदरबांट करनी है। मजे की बात यह भी कि सरकार भी इनकी कोई ऑडिट नहीं करती, जनप्रतिनिधि भी नींद में है। संबंधित अधिकारी एसी वाले रुम से बाहर ही नहीं आते, कुछ तो ऐसे भी है जो घर पर ही रजिस्टर मंगवा कर हजारी लगा के अपनी तनख्वाह और भत्ता बनवा लेते है। उन्हें पूछे तो कहते है की वहां तो ऐसा कुछ नहीं दिखवाता हैं, जबकि पिछले सात दिन से मृत पशु की सड़ती लाश और फूलती बॉडी गवाही देती है, कि ये मृत पशु की बॉडी पुरानी है। केम्पस में जहां देखो लाशें ही लाशें पड़ी नजर आएगी, यहां के इंचार्ज की घोर लापरवाही से पशुओं की लाशें का बाजार लगा है, हर कोने में लाशें बिखरी पड़ी नजर आ रही है।
यहां सुविधा के नाम पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, मोटे-मोटे बिल बन रहे है लेकिन हकीकत ये है की पशूओं को खड़ा करने के लिए जो जेक मशीने है वो सालों से खराब है, मगर कागजों में चल रही है और इनका मेंटिनेंस का हर महीने बिल बन रहा है।
घायल पशुओं के लिए लगा टीन सेड के फर्श की मिट्टी काफी महीनों से नहीं बदली गई, जबकि हर महीने इसके मेंटिनेंस के नई मिट्टी डलवाने के हजारों के बिल बन रहे है ओर पैसा उठाया गया है। ऐसे में सवाल है कि ये पैसा जा कहां रहा है?
बीकानेर वेटरनरी चिकित्सालये में घायल या इलाज के लिये आने वाले किसानों के पशुओं के लिये जो वार्ड बने है उनकी दुर्दशा देखने से ही पीड़ा होती है कि ऐसे भी लापरवाह डॉक्टर हमारे यहां है, केवल पानी टपकती छत के अलावा कोई सुविधा नहीं, कोई साफ सफाई नहीं है, अगर इन वार्डो में पशु मर भी जाये तो पांच छह दिनों तक कोई संभालता ही नहीं, जब तक वो भयंकर बदबू न मारनी शुरू कर दे। चौकीदार के नाम पर कुछ कुत्ते रखे है जो मृत पशु की लाश को नोच-नोच कर अपना पेट भरते है। घायल पशु उतारने के लिए जो फर्श बना है वो इतना टूटा फूटा है की उस पर पशु गिरकर और घायल हो जाये।

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