
शहर को आवारा पशुओं से मुक्त नहीं कर पा रहा निगम, नतीजा- एक और को गवानी पड़ी जान







– पत्रकार, कुशाल सिंह मेड़तियां की विशेष रिपोर्ट
खुलासा न्यूज, नेटवर्क। नगर निगम प्रशासन भले ही शहर को साफ सुथरा बनाने के दावे कर रहा हो, लेकिन आवारा पशुओं से अभी तक इस शहर को छुटकारा नहीं मिल पाया है, जिसका नतीजा यह है कि अब एक और व्यक्ति को जान गवानी पड़ी है। जस्सूसर गेट के बाहर, नृसिंह मंदिर के पास रहने वाले 50 वर्षीय राजेश गहलोत जो 31 दिसंबर को दोपहर करीब 12 बजे अपने घर से साईकिल पर किसी काम के लिये बाजार जा रहे थे, लेकिन एक निजी हॉस्पिटल के पास उनकी साइकिल को आवारा पशु ने टक्कर मार दी। जिससे राजेश घायल हो गए। परिजनों ने राजेश को पीबीएम ट्रोमा सेंटर में भर्ती करवाया, परंतु दो जनवरी को राजेश ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर निगम प्रशासन की उदासीनता व लापरवाही के भेंट लोग कब तक चढ़ते रहेंगे। राजेश से पहले भी कई लोगों को इन आवारा पशुओं की वजह से जिंदगी से हाथ धोना पड़ा है, दर्जन लोग घायल होकर हमेशा के लिए चारपाई पर सोने को मजबूर हो गए, उनके लिये ये आवारा पशु जिंदगी भर दर्द का कारण बन गए। इतना ही नहीं, शहर के मुख्य मार्गों से लेकर अतिव्यस्ततम बाजारों में हर वक्त मंडरा रहे आवारा पशुओं के कारण हर दिन लोग दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे है, लेकिन निगम प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। हादसे के बाद एकबारगी इस प्रकार का माहौल बनाया जाता है जैसे निगम प्रशासन की कोई गलती ही नहीं, अभियान चलाकर कुछ दिनों तक आवारा पशु पकड़े जाते है लेकिन कुछ समय बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। फिर हालात वही के वही रह जाते है। राजेश की मौत की वजह निगम प्रशासन की यही उदासीनता सामने आई है। अगर लगातार अभियान जारी रहता और आवारा पशुओं को पकडऩे का काम वास्तव में धरातल पर होता तो शायद राजेश आज हमारे बीच होते। अगर अब भी निगम प्रशासन नहीं चेता तो आज नहीं तो कल किसी ओर राजेश को जिंदगी से हाथ धोना पड़ेगा।
शहर की बड़ी समस्या है आवारा पशु
बता दें कि आवारा पशु शहर की बड़ी समस्याओं में से एक है। क्योंकि इन आवारा पशुओं के कारण हादसे तो हो ही रहे है साथ ही साथ आवागमन बाधक भी बन रहे है। कई बार सांडों की लड़ाई में लंबा जाम लग जाता है। इस बीच कोई जल्दबाजी में निकलने का भी प्रयास करता है तो भी निकल नहीं पाता। इस बड़ी समस्या से शहरवासियों को निजात दिलाने में अब तक निगम प्रशासन फिसड्डी साबित हुआ है।
मुख्य मार्गों, बाजारों व चौक-चौराहों पर मंडराते रहते है आवारा पशु
शहर के मुख्य मार्गों, बाजारों व चौक-चौराहों पर आवारा पशुओं के झुंड के झुंड मंडराते मिल जाएंगे। जिसको लेकर निगम प्रशासन व जिला प्रशासन भलीभांती जानते हुए भी चुपी साधे हुए बैठे है। इस चुपी के कारण आमजन को नुकसान हो रहा है। इस नुकसान को लेकर आमजन के मन में पीड़ा व रोष है, लेकिन इस पीड़ा व रोष को सुनने व जानने वाला कोई नहीं है। निगम प्रशासन अपनी ही लड़ाई में उलझा पड़ा हुआ है, वहीं जिला प्रशासन इन सबको देखकर भी अनदेखा कर रहा है। हालांकि मंगलवार को एक मीटिंग में संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने शहर को आवारा पशुओं से मुक्त करवाने का निर्देश दिया है, ऐसे में देखने वाली बात यह है कि इन निर्देशों पर वास्तव में धरातल पर काम होता है या नहीं।
इन इलाकों में आवारा पशुओं की भरमार
छबीली घाटी, मोहता चौक, नत्थसुर गेट के बाहर व अंदर,बड़ा बाजार, सब्जी मंडी, सिंगियों का चौक, मोहता की सराय, गोपेश्वर बस्ती, गुर्जरों का मौहल्ला, जैन कन्या महाविद्यालय के पास आदि इलाकों में पशुओं की भरमार है।


