
कौन जुटाएगा जादुई आंकड़ा,क्या निगम में होगा मोदी राज!





जयनारायण बिस्सा
बीकानेर। शहर की सरकार में किसका होगा राज। कौन बनेगी शहर की पहली महिला महापौर। कुछ ऐसे ही सवालों पर चर्चाएं परिणाम घोषित होने के बाद से हो रही है। हालांकि नतीजों की संख्या भाजपा बोर्ड की ओर ही इशारा कर रही है। किन्तु पिछले तीन चार दिनों से चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम में अब संशय के बादल छा रहे है और कयासों का बाजार गर्म है। राजनीतिक जानकारों की माने तो महाराष्ट्र में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद से राजनीति में सभी प्रकार की संभावनाओं की बातें जोर शोर से होने लगी है। अब राजनीतिक चचाओं का बाजार गर्म है कि जिस तरह केन्द्र सरकार ने सता के सहारे महाराष्ट्र में जो सियासी दावं पेच खेला है। कही बीकानेर नगर निगम में भी ऐसा कोई चमत्कार न हो जाएं। चाय की दुकानों,पाटों और गली-मोहल्लों में एक ही चर्चा है आखिर कौन जुटा पायेगा निगम में जादुई आंकड़ा। इस दौरान सर्द हवाओं के बीच कोई कांग्रेस का बोर्ड बना रहा है तो कोई सीधे तौर पर भाजपा की महापौर बना रहा है। इसके पीछे सभी अपनी अपनी गणित बैठा रहे है। कांग्रेस समर्थक तो इस बात तक का दावा कर रहे है कि वे जादुई आंकड़े से तीन से चार अधिक वोट हासिल कर लेंगे। तो वहीं भाजपा के समर्थक 42 पार्षदों के सहारे निगम में भाजपा राज का दावा कर रहे है।
सोशल मीडिया पर भी छिडी है जंग
आपको बता दे कि निगम में महापौर कुर्सी के लिये पिछले दस दिनों से चल रही उठापठक के बीच सोशल मीडिया पर दोनों ही दलों के समर्थकों के बीच जंग चल रही है। भाजपा के एक समर्थक ने तो अपनी पोस्ट के जरिये भाजपा को 51 कांग्रेस को 28 और एक पार्षद के वोट के दौरान अनुपस्थित रहने तक की बात कही है। तो कांग्रेस के समर्थकों ने इसे मजाक बताते हुए भाजपा में ही अन्र्तकलह की ओर इशारा किया है। कांग्रेस समर्थक इस बात को लेकर आश्वस्त है कि भाजपा के दो-तीन पार्षद और भाजपा के समर्थन में गए दो से तीन निर्दलीय भाजपा को दगा देंगे। देखना है कि दोनों ही पार्टियों के समर्थकों में से आखिर ये जंग कौन जीतता है।
क्या निगम में दोहरेगा इतिहास
जब बीकानेर में नगर परिषद थी तो उस समय भी कुछ हालात ऐसे ही रहे है। भाजपा ने बहुमत हासिल करने के बाद भी सभापति पद से हाथ धो लिया था और कांग्रेस ने क्रांस वोटिंग के जरिये सभापति पद हासिल किया था। हालांकि उस समय भी भाजपा के पार्षदों ने ही क्रांस वोटिंग कर अपने सभापति अखिलेश प्रताप सिंह को पदच्युत किया था। अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या नगर निगम में 26 नवम्बर फिर कोई इतिहास दोहराएगा।
मंगल किसके लिये होगा अमंगल
महापौर चुनाव जीतने के लिये भी जहां भाजपा प्रत्याशी बाड़बंदी के दौरान मंदिरों,गुरूद्वारों की चौखट चूम रही है और पूजा अर्चना के जरिये देवों को मनाने में जुटी है तो कांग्रेस प्रत्याशी भी हवन-पूजन क र अपनी जीत की दुआ मांग रही है। ज्योतिषों की माने तो कांग्रेस की अंजना खत्री का योग ज्यादा बनता दिख रहा है। शायद यहीं कारण है कि मंगल अमावस्या से पहले ही अंजना ने निगम परिसर में किसी भी बहाने चक्कर लगा कर अपनी जीत के ग्रह चक्करों को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है।


