जिले में 1187 बच्चे कुपोषण के शिकार - Khulasa Online जिले में 1187 बच्चे कुपोषण के शिकार - Khulasa Online

जिले में 1187 बच्चे कुपोषण के शिकार

श्रीगंगानगर। जिले में 9 ब्लॉकों में 1561 बच्चों का वजन कम है और 1187 मध्यम स्तर के कुपोषण का शिकार हैं। कृषि प्रधान श्रीगंगानगर जिले में खाद्यान्न का उत्पादन खूब होने पर भी बच्चों की सेहत कमजोर पड़ रही है। इसकी वजह बच्चों को मां का दूध कम पिलाना और उन्हें संतुलित आहार न मिलना है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने अगस्त तक 6 माह से 59 माह के बच्चों की जांच करवाई तो इसमें बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति सामने आई। विभाग ने 1 सितंबर से 7 सितंबर तक चलाए पोषण अभियान में अभिभावकों को बच्चों की सेहत की सार संभाल के प्रति जागरूक किया गया। डॉक्टर्स के अनुसार बच्चों की परवरिश पर ध्यान देकर पोषण का स्तर सुधारा जा सकता है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों पर 128748 बच्चे पंजीकृत हैं। इसमें से अगस्त महीने तक 78826 बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के लिए वजन किया गया। इसमें से 1561 बच्चे ऐसे मिले, जिनका वजन आयु के हिसाब से कम था। इसके अलावा 7 बच्चों का वजन अति कम था, जिन्हें कुपोषित की श्रेणी में माना गया है। पंजीकृत 128748 में से 76480 बच्चों का एमयूएसी (मिड अपर आर्म सर्कमफ्रेंस) का माप लिया गया। इसमें 5 बच्चे अति कुपोषित और 1187 मध्यम स्तर के कुपोषित पाए गए।
श्रीगंगानगर ग्रामीण ब्लॉक में सबसे ज्यादा कुपोषित, कम वजन के बच्चे
श्रीगंगानगर ग्रामीण ब्लॉक में सबसे ज्यादा कम वजन और मध्यम कुपोषण वाले बच्चे हैं। विभाग ने इस ब्लॉक के 13281 बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की थी। इसमें से 10525 बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करने पर 640 बच्चे कम वजन, 2 बच्चे अति कुपोषित और 464 बच्चे मध्यम कुपोषित पाए गए। सूरतगढ़ ब्लॉक की स्थिति बेहतर है। यहां 20493 पंजीकृत बच्चों में से 6290 की जांच की गई। इसमें कम वजन वाले 12 बच्चे और मध्यम स्तर के कुपोषित 13 बच्चे चिन्हित किए गए। महिला एवं बाल विकास के कार्यवाहक उप निदेशक विजय कुमार के अनुसार बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर सूखे आहार की किट्स का वितरण होता है। अभिभावकों को भी जागरूक किया जाता है। हर महीने 10 से 12 कुपोषित बच्चों का इलाज : जिला अस्पताल में कुपोषण बच्चों के इलाज के लिए बनाए केंद्र पर हर महीने 10 से 12 बच्चे इलाज के लिए आते हैं। डॉक्टर्स के अनुसार सरकार कुपोषित बच्चों को अच्छे पोषण के लिए हर महीने भर्ती रहने के दौरान 100 रुपए प्रति दिन सहायता राशि देती है। एक सामान्य स्वास्थ्य बच्चे की बाजू का घेरा (एमयूएसी) 12 से 13 सेंटीमीटर से ज्यादा होना चाहिए। इससे कम घेरा होना अच्छी खुराक के अभाव में कुपोषण का सूचक है। डॉक्टर्स के अनुसार कुपोषण की दृष्टि से जिले की स्थिति राज्य के अन्य जिलों की अपेक्षा बेहतर है।

 

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