
महात्मा गांधी का जीवन किसी एक विचारधारा तक सीमित नहीं रहा: प्रशांत किशोर





महात्मा गांधी का जीवन किसी एक विचारधारा तक सीमित नहीं रहा: प्रशांत किशोर
बीकानेर। रुकटा के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध शिक्षाविद प्रो. अशोक आचार्य की स्मृति में को धरणीधर रंगमंच पर विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. नंदकिशोर आचार्य ने मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का व्यक्तित्व एवं भारतीय संविधान के परिपेक्ष में व्याख्यान दिया।मुय वक्ता डॉ. नंदकिशोर आचार्य ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का व्यक्तित्व एवं कृतृत्व भारतीय संविधान में उल्लेखित प्रावधानों में परिलिक्षीत होता है। गांधी के जीवन मूल्यों एवं विचारों को आत्मसात कर हमारे संविधान निर्माताओं ने भारतीय संविधान का निर्माण किया। हमारे संविधान में उल्लेखित मूल अधिकार हो अथवा नीति निर्देशक तत्व हो इन सब में गांधी के मूल्यों का समावेश किया गया है। गांधी जी हमेशा सर्वधर्म सभाव, समानता, अस्पर्शता आदि की बात करते थे। यह आज भारतीय संविधान की आत्मा है।
विशिष्ट अतिथि गांधी पीस फाऊंडेशन के अध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा कि महात्मा गांधी का जीवन किसी एक विचारधारा तक सीमित नहीं रहा। वे केवल स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, वे मानवता, नैतिकता और सामाजिक न्याय के प्रतिनिधि थे। अधिवक्ता शंकरलाल हर्ष ने प्रोफेसर अशोक आचार्य के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। आयोजन सचिव संजय आचार्य ने स्वागत उद्बोधन दिया।
सत्याग्रह आज अधिकार
कार्यक्रम में डॉ. विठ्ठल बिस्सा ने संविधान के अनुच्छेद 19 में विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 17 में अस्पृश्यता का अंत और मौलिक अधिकारों की पूरी व्यवस्था का संविधान में समावेश गांधी की प्रेरणा से ही जोड़ा गया। अध्यक्षता कर रहे डॉ. बीडी कल्ला ने कहां की गांधी का सत्याग्रह आज लोकतांत्रिक विरोध और शांतिपूर्ण आंदोलन के अधिकार के रूप में देखा जा सकता है। गांधी का ग्राम स्वराज का सपना आज स्थानीय स्वशासन के रूप में जीवित है। कार्यक्रम में मकसूद अहमद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कांग्रेस नेता गोविंदराम मेघवाल, भंवरसिंह भाटी, विधायक सुशीला डूडी, यशपाल गहलोत, लोक अदालत के न्यायाधीश महेश शर्मा आदि मौजूद रहे।


