तुगलकी फरमान से निजी शिक्षण संस्थानों के लाखों कर्मचारियों के वेतन पर संकट - Khulasa Online तुगलकी फरमान से निजी शिक्षण संस्थानों के लाखों कर्मचारियों के वेतन पर संकट - Khulasa Online

तुगलकी फरमान से निजी शिक्षण संस्थानों के लाखों कर्मचारियों के वेतन पर संकट

बीकानेर। स्कूल शिक्षा परिवार राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष अनिल शर्मा ने राज्यपाल को पत्र लिख कर राजस्थान के सभी निजी स्कूलों पर आये संकट से अवगत करवाते हुए मांग रखी की जल्द ही फीस न मांगने के एक तरफा आदेश को वापिस लिया जाए। बीकानेर शहर अध्यक्ष सवाई सिंह राजपुरोहित ने भी सभी स्कूल संचालकों से आह्वान किया की तैयार रहें आंदोलन के लिए , अगर सरकार इसी तरह हमारे अहित हेतु अडिग़ रहती है तो, व सभी को एक जुट होकर हमारे अस्तित्व की लड़ाई को सफलता प्राप्त होने तक लडऩा होगा। जिला प्रभारी राजेन्द्र पालीवाल ने कहा की इन कठिन हालातों से मजबूर होकर स्कूल संचालक आत्महत्या कर चुके हैं। अत: अब फिर से कोई भी पुनरावर्ती न हो, कोई दुखद हादसा न हो,इसके लिए औरंगजेबी सरकार से आरपार की लडाई बहुत ज़रूरी है। एक तरफ हमारे पिछले 2, 3 वर्षों के आरटीई के बिलों का भूगतान सरकार नही कर रही तथा मान्यता देने के समय बालिका शिक्षा फाउंडेशन के नाम पर और 3 से 500000 की जो उनसे एफडीआर बिना ब्याज के ली जा रही है। उसको भी सरकार स्कूल संचालक को वापस नहीं दे रही है,उपर से फीस नही मांग सकते। फिर विद्यालाय संचालक कैसे अपने यहां कार्यरत कार्मिकों,शिक्षकों को वैतन का भूगतान करेंगे। अपने विद्यालय भवन का किराया किस तरह चुकाएंगे ,जो बस से और टैक्सी जो उन्होंने विद्यार्थियों को लाने ले जाने के लिए ले रखी है उनकी ई एम आई का भुगतान कैसे कर पाएंगे, स्कूल भवन के बिजली का बिल कैसे चुकता कर पाएंगे , विद्यालय के पास अपना कोई स्थाई फंड नहीं होता है क्योंकि विद्यालय एक ऐसी संस्था है जो ना लाभ ना हानी पर सेवा कार्य करती है। मनोज सिंह राजपुरोहित , श्रीमती अनिता गर्ग ,सुरेन्द्र डागा,पुखराज सिंह राठौर ,प्रवीण कुमार उम्मट आदि ने भी अपनी सहमति प्रदान की।

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