हजारों स्कूल भवनों में अब बच्चों की जगह पशुओं का जमावड़ा - Khulasa Online हजारों स्कूल भवनों में अब बच्चों की जगह पशुओं का जमावड़ा - Khulasa Online

हजारों स्कूल भवनों में अब बच्चों की जगह पशुओं का जमावड़ा

चार साल में नहीं हुआ रखरखाव, पीईईओ ने भी नहीं भेजे प्रस्ताव
बीकानेर। विद्यालय एकीकरण योजना में प्रदेश में प्रारंभिक शिक्षा के हजारों स्कूलों को माध्यमिक शिक्षा में समन्वित करने के बाद खाली हुए स्कूल भवन खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। अगस्त 2013 के बाद चरणबद्ध तरीके से एकीकरण योजना क्रियान्वित की गई। इसके तहत प्रदेश के बीस हजार से अधिक स्कूलों को नजदीकी स्कूलों में समन्वित किया गया। जानकारों की मानें, तो मर्ज किए गए स्कूलों में से 25 फीसदी स्कूल एकीकरण से मुक्त हो गए, वहीं पÓचीस फीसदी समन्वित स्कूल में कक्षा कक्ष की कमी के चलते पुराने भवनों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे में दस हजार स्कूल लावारिस हालत में पड़े हैं, जिनकी सार-संभाल नहीं होने के कारण उनमें बÓचों की जगह पशुओं का हर समय जमावड़ा रहता है।
गत सरकार ने अपने कार्यकाल में प्रथम वर्ष में ही गुणात्मक शिक्षा के नाम पर विद्यालय एकीकरण योजना शुरू की। लगभग पांच चरणों में योजना के तहत दस हजार स्कूलों के ताले लग गए। हालंाकि इनमें अध्ययनरत विद्यार्थियों में से अधिकांश को समन्वित स्कूल में प्रवेश दे दिया गया लेकिन कुछ दूरी अधिक होने के कारण निजी विद्यालयों में चले गए।
पीईईओ को नहीं जानकारी
एकीकरण योजना की चरणबद्ध क्रियान्विति के बाद ग्राम पंचायत मुख्यालय पर आदर्श विद्यालय बनाने और पंचायत स्तर पर पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी पीईईओ को नामित करने के बाद मॉनिटरिंग का जिम्मा पीईईओ को सौंप दिया लेकिन पीईईओ अपने ही स्कूल से बाहर की गतिविधियों पर नजर नहीं रख पा रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि ग्राम पंचायत क्षेत्र में एकीकरण योजना में कितने स्कूल मर्ज हुए और भवन कहां पर तथा किस हाल में है? इसको लेकर पीईईओ को कोई जानकारी तक नहीं है।
आंगनबाड़ी का हो संचालन
शिक्षा विभाग व महिला एवं बाल विकास विभाग के बीच तीन वर्ष पहले हुए अनुबंध के तहत आंगनबाड़ी के बÓचों को पूर्व प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी पीईईओ को दी गई लेकिन प्रदेश में अधिकांश आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पूर्व प्राथमिक शिक्षा कागजों में ही मिल रही है। आंगनबाड़ी को स्कूलों में समन्वित करने की योजना भी कक्षा-कक्ष के अभाव में शत-प्रतिशत क्रियान्वित नहीं हो पाई है जबकि ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक पंचायत में एक व इससे अधिक स्कूल भवन लावारिस हालत में है। लोगों का कहना है कि यदि इन भवनों में ही आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित करने की छूट मिल जाए, तो विभाग को किराया नहीं देना पड़ेगा और भवन की मरम्मत व सार-संभाल भी हो जाएगी।
बीकानेर में 100 से अधिक स्कूल
बीकानेर जिले में सौ से अधिक स्कूल अब भी पेड़ों के नीचे संचालित हो रहे हैं, जबकि तीन दर्जन स्कूलों के भवन लावारिस हालत में पड़े हुए हैं। इन भवनों के जर्जर हालत में होने की रिपोर्ट जिला स्तर तक पहुंच चुकी है लेकिन विभाग बंद स्कूलों के भवनों की सुध नहीं ले रहा है। जानकारों की मानें, तो इसमें कुछ भवन भामाशाहों ने स्कूल के लिए दान किए थे, जो लावारिस हालत में पड़े हैं।

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