निजी के प्रति ज्यादा समर्पित होते है ये चिकित्सक - Khulasa Online निजी के प्रति ज्यादा समर्पित होते है ये चिकित्सक - Khulasa Online

निजी के प्रति ज्यादा समर्पित होते है ये चिकित्सक

सरकारी डाक्टरों के बल पर चलते निजी चिकित्सालय
बीकानेर। सरकारी चिकित्सकों की मनमानी का मामला जिले में भी कम नहीं है। जिला चिकित्सालय में तैनात चिकित्सकों की ड्यूटी यूं तो प्रात: 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक होती है, लेकिन अधिकांश चिकित्सक 9 बजे ही ड्यूटी पर पहुंचते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सुबह के समय भी कई चिकित्सकों का ध्यान या तो खुद की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रहता है या फिर दूसरे द्वारा संचालित निजी अस्पतालों में जाकर ड्यूटी बजाने पर। दोपहर बाद भी समय से पहले चिकित्सालयों से निकलने की जल्दी अक्सर देखी जाती है। जिला मुख्यालय के यूं तो किसी भी क्लीनिक या चिकित्सालय पर सरकारी चिकित्सकों का बोर्ड नहीं अंकित है, लेकिन उनके द्वारा निजी प्रैक्टिस धड़ल्ले से की जा रही है। संभाग की सबसे बड़ी पीबीएम अस्पताल सहित जिला अस्पताल,गंगाशहर अस्पताल के लगभग एक दर्जन से अधिक स्थानों पर सरकारी चिकित्सकों द्वारा निजी प्रैक्टिस की जाती है। इन्हीं अस्पतालों में सरकारी सर्जन आपरेशन करते रहते हैं। बीते कुछ समय से निजी अस्पतालों में सरकारी चिकित्सकों की लापरवाही से मरीजों की मौत के कुछ मामले भी सामने आये है और एक दो चिकित्सकों पर कार्यवाही भी हुई है। उसके बाद भी चिकित्सक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है। पिछले कुछ सालों का रिकार्ड उठाकर देखे तो पाएंगे कि सरकारी चिकित्सक अपने सेवा अवधि के दौरान निजी चिकित्सालयों में काम करते पाएं गये है। चिकित्सा विभाग को इसकी जानकारी होने के बाद भी इन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
निजी क्लिनिकों में मरीजों का शोषण
बगैर लाइसेंस और निबंधन के अवैध रूप से संचालित सैकड़ों निजी अस्पताल और क्लिनिक मुर्दे से कफन छीनने की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। लालच और पैसे की भूख ने सोख ली है इनकी सारी संवेदनाएं और टूट रहा है वह भरोसा और विश्वास, जो लोगों के अंदर चिकित्सा सेवा के प्रति अभी तक कायम था।
इन चिकित्सालयों में इलाज के नाम पर धोखाधड़ी और मरीजों व उनके परिजनों के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार को देखने सुनने वाला कोई नहीं। हालांकि, तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। वह यह कि नगर में या जिले के अन्य हिस्सों में भी कुछ ऐसे चिकित्सक हैं, जो अपनी ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा की बदौलत इस सेवा की लाज बचाये हुए हैं। निजी क्लिनिकों व अस्पतालों में यदि क्लिनिकल इस्टेबलिशमेंट एक्ट को लागू कराने के प्रति जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग गंभीर होता,इसकी तस्वीर कुछ ओर ही होती। पर ऐसा न हीं है ये निजी अस्पताल और क्लिनिक मरीजों के शोषण आ केन्द्र बने हुए है।

error: Content is protected !!
Join Whatsapp 26