अगले महीने से बदल जाएगा आपकी सैलरी से जुड़ा ये जरूरी नियम, जानिए इसके बारे में
नई दिल्ली। सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान कंपनी और कर्मचारी दोनों के लिए घोषित राहत उपायों के तहत तीन महीनों मई, जून और जुलाई के लिए कर्मचारी भविष्य निधि के योगदान में 4त्न की कटौती की गई थी। इसलिए अगस्त से आपकी कंपनी पुरानी कटौती दरों पर वापस आ जाएगा। अगर आसान शब्दों में कहें तोअगस्त से ईपीएफ पहले की तरह 12 फीसदी ही कटेगा। बता दें कि इससे पहले मई में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीन महीने के लिए ईपीएफ योगदान को 4 फीसदी घटा दिया था. जिससे लगभग 6.5 लाख कंपनियों के कर्मचारियों को हर महीने लगभग 2,250 करोड़ रुपए का फायदा हुआ।
क्या है नियम?
नियम के अनुसार, कर्मचारी और नियोक्ता 24 प्रतिश जमा करते हैं- 12त्न बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता – कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा बनाए गए रिटायरमेंट फंड के लिए हर महीने ईपीएफ कटौती के रूप में होती है. वैधानिक कटौती कुल 4 प्रतिशत (नियोक्ता के योगदान का 2 प्रतिशत और कर्मचारी के योगदान का 2 प्रतिशत) में कटौती की गई थी।बेसिक और डीए के 4त्न के बराबर कटौती से सैलरी भी बढ़ गई। सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राजेज और राज्य सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों के मामले में 12 प्रतिशत नियोक्ताओं के हिस्से का भुगतान किया गया था, जबकि कर्मचारियों ने 10 प्रतिशत का भुगतान किया था। अगले महीने से कटौती पुराने लेवल पर वापस आ जाएगी।
श्रम मंत्रालय ने घोषणा करते समय कर्मचारियों को कहा था कि अगर वे चाहते हैं तो अगले तीन महीनों के लिए अपने प्रोविडेंट फंड में मूल वेतन का 10 प्रतिशत से अधिक योगदान कर सकते हैं, लेकिन नियोक्ताओं को हायर कंट्रीब्यूशन से मेल खाने की आवश्यकता नहीं है।