नागौर के आसपास के क्षेत्र में 800 से अधिक सेक्स वर्कर काम रही है! - Khulasa Online नागौर के आसपास के क्षेत्र में 800 से अधिक सेक्स वर्कर काम रही है! - Khulasa Online

नागौर के आसपास के क्षेत्र में 800 से अधिक सेक्स वर्कर काम रही है!

नागौर। नागौर में शहर सहित आसपास के क्षेत्र में 800 से अधिक सेक्स वर्कर काम कर रही हैं। चौंकिए मत, क्योंकि यह आंकड़ा केवल कागजी है और कागजों में फर्जीवाड़ा का यह खेल पिछले कई सालों से चल रहा है। जी हां, राष्ट्रीय एड्स उन्मूलन संस्थान (नाको) से वित्त पोषित एक एनजीओ पिछले दस-बारह वर्षों से कागजों में सैकड़ों सेक्स वर्कर दिखाकर करोड़ों रुपए का भुगतान उठा चुका है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जिन महिलाओं को एचआरजी (हाई रिस्क ग्रुप) बताया जा रहा है, उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं है। राजस्थान राज्य एड्स नियंत्रण संस्थान (आरएसएसीएस) के अंतर्गत कार्यरत इस एनजीओ को नाको व आरएसएसीएस द्वारा एचआईवी जांच किट भी दिए जाते हैं, लेकिन एनजीओ द्वारा एचआरजी की जांच करने की बजाय ठिकाने लगाया जा रहा है। यही कंडोम का हो रहा है। पड़ताल में यह भी सामने आया कि कंडोम को रात के अंधेरे में जला दिया जाता है।
गोपनीयता की आड़ में फर्जीवाड़ा सरकारी गाइडलाइन के अनुसार एचआरजी (हाई रिस्क ग्रुप) की पहचान गुप्त रखी जानी होती है, इसी का फायदा उठाकर एनजीओ द्वारा कच्ची बस्तियों से अनपढ़ महिलाओं के नाम-पत्ते जुटाए जाते हैं और फिर उनके नाम से रजिस्ट्रेशन करके फर्जी हस्ताक्षर कर लिए जाते हैं, जबकि जिन महिलाओं को एचआरजी बताया जा रहा है, उनका इस धंधे से दूर-दूर का नाता नहीं है।
500 रुपए में हो जाता है इंतजाम एनजीओ की लिस्ट में शामिल एचआरजी का भौतिक सत्यापन करने या जांच करने जब भी ऊपर से कोई टीम आती है तो मोहल्ले की एक महिला को 500 रुपए का लालच देकर अनपढ़ महिलाओं को एकत्र कर लिया जाता है तथा पहले से यह समझा दिया जाता है कि जब उनसे पूछे कि आप एचआरजी हो तो कहना है। जांच टीम इससे अधिक गहराई में नहीं जाती और उनके चेहरे देखकर रवाना हो जाती है।
कार्मिकों का मानदेय डकार गया संचालक एनजीओ में काम करने वाले कमला, डाया, राधा आदि ने जिला कलक्टर को गत दिनों शिकायत देकर बताया कि वे पिछले 8-10 साल से पीयर एजुकेटर के रूप में कार्य कर रही हैं। कोई बैठक या बस्ती में महिलाओं को एकत्र करने पर उन्हें 500 रुपए दिए जाते हैं, लेकिन हर महीने मिलने वाला 3500 रुपए का मानदेय एक बार भी नहीं दिया। पीयर एजुकेटर ने बताया कि शुरू में उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि मानदेय मिलता है, लेकिन बाद में जब पता चला और उन्होंने एनजीओ संचालक से मानदेय के रुपए मांगे तो उनको कार्यमुक्त कर दिया।
पूरा फर्जीवाड़ा, धरातल पर कुछ नहीं नाको से वित्त पोषित ग्राम विकास सेवा संस्थान नागौर में मैं अगस्त 2018 से उाउट रीच वर्कर के रूप में काम कर रही हूं। मैंने दो साल में देखा कि एनजीओ द्वारा एचआरजी के नाम पर पूरी तरह फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। नागौर शहर एवं आसपास 800 से अधिक एचआरजी बताकर उनके नाम से भुगतान उठाया जा रहा है, जबकि धरातल पर ऐसा नहीं है। मेरी आर्थिक विपन्नता का फायदा उठाकर प्रतिमाह मिलने वाले मानेदय के 9 हजार की बजाय 5 हजार ही देने की बात कही। इसके बाद मेरे एटीएम, बैंक डायरी व पिन नम्बर ले लिए। डॉकडाउन में मुझे नौकरी से निकाला तो मैंने खाते में जमा राशि मांगी, इस पर संचालक ने देने से मना कर दिया। इसको लेकर मैंने जिला कलक्टर को शिकायत की है।

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