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मधुशालाओं के दम से भरती सरकार की झोली,ऐसे कैसे होगी शराबबंदी

राजस्व बढ़ाने बदले नियम,क्या बंद हो पाएगा शराब पर ओवररेट का खेल, नई आबकारी नीति में फिर दावा
बीकानेर। समाजसेवी गुरचरण छाबड़ा के द्वारा राजस्थान में चलाएं गये शराबबंदी आन्दोलन के बाद सता में आई कांग्रेस ने शराबबंदी करने का मन बनाया था। इसके लिये वाकयदा पांच सदस्यीय कमेटी का गठन कर बिहार भेजा गया और वहां के हालात को जानने का प्रयास भी हुआ। लेकिन उसकी रिपोर्ट क्या रही। इसका खुलासा नहीं किया गया। राजस्थान में लगातार उठ रही पूर्ण शराबबंदी की मांग को उस समय तगड़ा झटका लगा है। जब सरकार ने शराबबंदी करने की बजाय राजस्व को बढ़ाने के लिये नियमों में ढिलाई बरत दी है। ऐसे में शराबबंदी की पैरवी करने वाली कांग्रेस सरकार पर अब सवाल उठने लगे है। अब ये चर्चा आम होने लगी है कि शराबबंदी को लेकर पूर्व में सीएम गहलोत के आएं बयान क्या वास्तव में भावनात्मक थे या राजनीतिक स्टंट।
ये किया नियमों में बदलाव
मंजर ये है कि शराब से राजस्व बढ़ाने के लिये सरकार ने आबकारी नीति में ही बदलाव कर दिया। इस बार अंग्रेजी शराब की दुकानों को भी मदिरा रखने के लिए 100 मीटर की परिधि में गोदाम स्वीकृत किया जा सकेगा। इससे ठेकेदार को मदिरा का स्टॉक करने में कोई परेशानी नहीं होगी। देशी शराब लाइसेंसी को अपने समूह के क्षेत्र में कही भी गोदाम स्वीकृत हो सकेगा। आवेदन पत्र की फीस 10 लाख रुपए तक की दुकान के लिए 25 हजार और 10 लाख की राशि के अधिक की कीमत की दुकान का आवेदन पत्र शुल्क तीस हजार रुपए होगा। अगर इनमें कोई दुकान खाली भी रह जाती हैं तो उसके लिए राज्य सरकार की ओर से आगामी तारीख घोषित की जाएगी। वहीं दूसरी ओर रेस्टोरेंट बार के लाइसेंस भी वर्ष 2020-21 के लिए नवीनीकृत किए जाएंगे। इसकी नवीनीकरण फीस 28 फरवरी तक राज कोष में जमा कराई जा सकेगी। साल 2020-21 की आबकारी नीति में देशी शराब की भी एमआरपी तय की गई है।
बढ़ेगी पूंजी सुरक्षा
खास बात यह भी रहेगी कि अनुज्ञापत्र में नाम जोडऩे का प्रावधान होने से अन्य व्यक्ति के नाम पर आई दुकान में पूंजी लगाने वाले व्यक्तियों की पंूजी की सुरक्षा बढ़ेगी। अनुज्ञापत्र की साधारण शर्तों का उल्लंघन होने पर तीन बार केवल चेतावनी देकर छोडऩे के प्रावधान से दुकानदारों में असुरक्षा की भावना कम होगी तथा विश्वास बढ़ेगा। पूर्व वर्ष की स्वीकृत लोकेशन पर ही दुकान लगाने पर दुकान खुद ही स्वीकृत होने के प्रावधान से दुकानदारों को लोकेशन जांच कराने आदि की प्रक्रिया से निजात मिलेगी। इसके अलावा देशी मदिरा/राजस्थान निर्मित मदिरा का मांगपत्र ऑनलाइन किए जाने से दुकानदार अपनी पसंद का माल ही लेंगे। उन पर ग्राहक की ओर से पसंद नहीं किया जाने वाला माल अनावश्यक रूप से थोपा नहीं जा सकेगा। नौकरनामे ऑनलाइन किए जाने की सुविधा से दुकानदारों की समस्याओं का निराकरण होगा। कम्पोजिट फीस पिछले वर्ष (आठ प्रतिशत) की तुलना में सात प्रतिशत निर्धारित करने से कम्पोजिट फीस की राशि में कमी होने से लागत में कमी आएगी। उक्त कमी दुकान के लाभांश को बढ़ाएगी।
बढ़ेगा दुकानदार का लाभांश
आबकारी नीति 2020-21 के तहत अंग्रेजी शराब व बीयर में एमआरपी आगामी पांच के गुणांक में निर्धारित करने से दुकानदार का लाभांश बढ़ेगा। अंग्रेजी शराब की दुकानों में एसवीएफ का प्रावधान समाप्त करने से अंग्रेजी शराब व बीयर पर उठाई गई मात्रा पर एसवीएफ लगेगी। इससे पूर्व की तरह पूरी एसवीएफ उपयोग में नहीं आने पर अप्रयुक्त एसवीएफ राशि के बराबर सीधी बचत होगी। दुकानों में कुल फीस में दो से चार लाख रुपए की कमी होने से पूंजी कम लगेगी। परिधीय क्षेत्र की दुकानों में कुल कम्पोजिट फीस की 25 प्रतिशत राशि देशी मदिरा गारंटी पेटे स्थानांतरित करने की सुविधा रहेगी। ईपीए का 100 प्रतिशत से अधिक उठाव करने पर अधिक उठाई गई मात्रा पर आबकारी शुल्क में 40 प्रतिशत छूट का प्रावधान होगा। अंग्रेजी शराब/देशी शराब दुकानों के अगले वर्ष के लिए नवीनीकरण का प्रावधान होने से दुकानदारों की लागत में कमी आएगी तथा दो वर्ष की अवधि मिलने के कारण लाभांश बढ़ेगा।

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