राजस्थानी में पंजाबी की महक लेकर आया संग्रह ‘झोकड़ी खावतो बगत’
अनुवाद असल में पुनर्लेखन है-बिजारणियां
बिजारणियां के अनुवाद संग्रह ‘झोकड़ी खावतो बगत’ का विमोचन
महाजन।साहित्य अकादेमी, दिल्ली से प्रकाशित एवं युवा साहित्यकार राजूराम बिजारणियां द्वारा अनुवादित राजस्थानी कविता संग्रह ‘झोकड़ी खावतो बगत’ का लोकार्पण महाजन स्थित इक्कीस एजुकेशन इंस्टीट्यूट में संपन्न हुआ। यह संग्रह प्रसिद्ध पंजाबी कवयित्री (प्रोफेसर) मंजीत टिवाणा के साहित्य अकादेमी, दिल्ली से पुरस्कृत पंजाबी कविता संग्रह ‘उनींदा वर्तमान’ का राजस्थानी अनुवाद है। लोकार्पण के इस मौके पर पर्यावरणविद् व साहित्यकार डॉ. हरिमोहन सारस्वत ने कहा कि आज हमें आधुनिककरण के इस दौर में अपनी संस्कृति और लोक परम्पराओं को बचाने की अत्यंत आवश्यकता है। इसके लिए हम सबको सजग होकर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहा कि कवयित्री जितनी बारीकी के साथ दर्शन से होकर गुजरती है, अनुवादक बिजारणियां भी उतने ही कुशल विजन से अनुवाद करते हैं कि वे उनकी कविताएं हो जाती है। पंचायत समिति, लूणकरणसर के विकास अधिकारी प्रदीप मायला ने
पंजाबी कविताओं का राजस्थानी में अनुवाद होकर आना सुखद बताते हुए कहा कि इस बहाने से पंजाबी और राजस्थानी संस्कृति में और निकटता आएगी। अनुवादक राजूराम बिजारणियां ने अपने द्वारा किए गए अनुवाद के अनुभव साझा करते हुए बताया कि अनुवाद असल में पुनर्लेखन है, जो आसान काम नहीं है। अनुवाद में मूल भावों को कायम रखकर रचनाकर्म करना पड़ता है। बिजारणियां ने इस मौके पर संग्रह की कुछ कविताएं भी सुनाई। इक्कीस की अध्यक्ष आशा शर्मा ने इस इस पुस्तक को ‘राजस्थानी में पंजाबी की महक’ बताया। पी.एन.बी. सहायक प्रबन्धक राजपाल न्यौळ ने कवि एवं अनुवादक का परिचय दिया। इस अवसर पर भैराराम तर्ड़, संजय राव, मनीराम जाखड़, कैलाश रंगा, डॉ. पुरुषोत्तम, अजमल हुसैन ने विभिन्न भाषाओं से मायड़ भाषा में अनुवाद के साथ-साथ राजस्थानी साहित्य की विभिन्न विधाओं का अन्य सभी भाषाओं में भी बराबर अनुवाद की दरकार बताई।