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सरकार का फैसला बोर्ड ने किया तय, 10वीं, 12 वीं के विद्यार्थियों को देने होगी परीक्षा

सीकर। कोरोना की वजह से राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं रद्द होने के बाद अब शिक्षा विभाग की ओर से गठित समिति ने अंक गणना का फॉर्मूला तैयार कर लिया है। कमेटी ने मंगलवार को शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा को बंद लिफाफे में रिपोर्ट सौप दी है। सूत्रों की मानें तो बुधवार को शिक्षा मंत्री की ओर से अंक गणना के फॉर्र्मूेले की घोषणा की जा सकती है। राजस्थान के 21 लाख से अधिक विद्यार्थियों की निगाहें बुधवार को शिक्षा विभाग के स्कोर बोर्ड पर रहेगी। विभाग की ओर से जो फॉर्मूला घोषित होगा उसी के आधार पर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से परिणाम जारी किया जाएगा। सूत्रों की माने तो बोर्ड को 40 दिन का समय परिणाम जारी करने के लिए दिया जा सकता है। कमेटी ने 10 वीं और 12 वीं परीक्षा के नतीजों का फॉर्मूला सीबीएसई के पैटर्न पर ही तैयार किया है लेकिन प्रदेश की परिस्थितियों के हिसाब से उसमें कुछ बदलाव भी किए गए है। गौरतलब है कि कक्षा 10 वीं व 12 वीं के नतीजों को लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने दो दिन की मैराथन बैठकों के बाद शिक्षा मंत्री को रिपोर्ट दी है।
40 दिन में बोर्ड को यह करनी होगी कवायद
बोर्ड को स्कूलों से वैटेज के आधार कवायद करनी होगी। इसलिए कमेटी ने बोर्ड को 40 दिन का समय दिया है। स्कूलों से बच्चों का कक्षा आठवीं, नवीं के साथ दसवीं के ऑनलाइन कक्षाओं का रेकार्ड मिलने के बाद बोर्ड परिणाम जारी कर सकेगा। इसी तरह बारहवीं के लिए दसवीं व 11 वीं के अंकों को वैटेज देकर फॉर्मूला तैयार किया गया है
प्रायोगिक परीक्षा देना रहेगा अनिवार्य जिन विद्यार्थियों के प्रायोगिक विषय है उनको परीक्षा देनी होगी। इसके लिए बोर्ड की ओर से ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों विकल्प शिक्षा मंत्री के सामने रखे गए है। शिक्षा मंत्री की ओर से प्रायोगिक परीक्षाओं की तिथि को लेकर भी अधिकृत घोषणा किए जाने की संभावना है।
नंबरों से संतुष्ट नहीं तो एग्जाम का विकल्प
यदि कोई विद्यार्थी राजस्थान बोर्ड के फॉर्मूले के आधार पर बने अंक प्रतिशत से संतुष्ट नहीं होता है तो सीबीएसई की तरह एग्जाम देने के रास्ते खुले रहेंगे। ऐसे विद्यार्थियों की अंकतालिका कॉपी जांचे जाने के बाद ही जारी होगी। इसके लिए कमेटी की बैठक में विद्यार्थियों को आपत्ति दर्ज कराने के विकल्प पर भी चर्चा हुई थी।
प्राईवेट विद्यार्थियों को इसलिए देनी होगी परीक्षा प्राइवेट विद्यार्थियों की परीक्षा लेने के प्रस्ताव पर कमेटी में सहमति बनी है। सूत्रों की मानें तो कमेटी के सामने यह मुद्दा आया कि इन विद्यार्थियों के पास नवीं के अंकों का रेकार्ड नहीं है। ऐसे में इनकी परीक्षा लिया जाना ही अंतिम विकल्प है। ऐसे में तय माना जा रहा है कि इन विद्यार्थियों को प्रमोट नहीं किया जाएगा।
अंक गणना का फॉर्मूला तैयार: शिक्षा मंत्री

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