सचिन पायलट ने जताई ये उम्‍मीद - Khulasa Online सचिन पायलट ने जताई ये उम्‍मीद - Khulasa Online

सचिन पायलट ने जताई ये उम्‍मीद

जयपुर. राजस्‍थान के सियासी संकट के बीच कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ( Govind Singh Dotasara) प्रदेश कांग्रस अध्‍यक्ष की जिम्‍मेदारी संभाल ली है.  इस पदभार ग्रहण समारोह में मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot), कांग्रेस के राष्‍ट्रीय महासचिव और राजस्‍थान के प्रभारी अविनाश पांडे (Avinash Pandey) के अलावा केसी वेणुगोपाल सहित वरिष्ठ नेता, विधायक, पूर्व पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे. जबकि राजस्‍थान के पूर्व डिप्‍टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने गोविंद सिंह डोटासरा का अध्‍यक्ष बनने पर बधाई दी है. सचिन पायलट ने गोविंद सिंह डोटासरा को बधाई देत हुए लिखा, ‘ श्री @GovindDotasra जी को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने पर बधाई. मुझे उम्मीद है कि आप बिना किसी दबाव या पक्षपात के उन कार्यकर्ताओं का जिनकी की मेहनत से सरकार बनी है पूरा मान-सम्मान रखेंगे. आपको बता दें कि डोटासरा को राजस्‍थान के पूर्व सीएम सचिन पायलट के बागी तेवर अपनाने की वजह से बर्खास्‍त करने के बाद प्रदेश अध्‍यक्ष की जिम्‍मेदारी सौंपी गयी है.

बहरहाल, राजनीति के अपने 15 साल के करियर में डोटासरा ने पंचायत समिति के पार्षद से पीसीसी चीफ तक का सफर पूरा किया है. इस बीच, वह प्रधान, विधायक, पार्टी के सचेतक, जिलाध्यक्ष और मंत्री पद का दायित्व संभाल चुके हैं. अब उनके सामने प्रदेश में कांग्रेस बिखरे कुनबे को एकजुट रखने की बड़ी चुनौती है. गोविंद सिंह डोटसरा राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के सबसे बड़े सीकर के जिले लक्ष्मणगढ़ तहसील की कृपाराम की ढाणी के रहने वाले हैं. 1964 में जन्मे डोटासरा बी.कॉम, बीएड और एलएलबी डिग्रीधारी हैं. वे पेशे से अधिवक्ता हैं. सीकर के श्रीकल्याण कॉलेज से शिक्षा प्राप्त डोटासरा ने करीब 20 साल तक सीकर में ही वकालत की है.

2005 में शुरू किया राजनीति का सफर
वकालत के पेशे से वर्ष 2005 में राजनीति में आये डोटासरा अपने पहले कदम से ही सफलता के शिखर पर चढ़ते गये. लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति से सदस्य का पहला चुनाव लड़कर सफलता हासिल की और पहली ही बार में प्रधान के पद पर आसीन हो गये. उसके बाद प्रधान रहते हुए ही वर्ष 2008 में विधानसभा चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक बने. उसके बाद वर्ष 2013 में पार्टी ने उनको दूसरी बार लक्ष्मणगढ़ से चुनाव मैदान में उतारा तो वे फिर विजयी रहे. इस पर उनको पार्टी में सचेतक का पद मिला. इस दौरान वे विधानसभा में अपने तेज तर्रार स्वभाव और हाजिर जवाबी के कारण चर्चा में आये. अपने राजनीतिक करियर में सात साल तक डोटासरा ने जिलाध्यक्ष के तौर पर सीकर में पार्टी की कमान संभाली है. लिहाजा उनके पास संगठन का भी अच्छा खासा अनुभव है.

गहलोत सरकार में पहली बार मंत्री बने
वर्ष 2018 के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में डोटासरा ने लक्ष्मणगढ़ से जीत की हैट्रिक लगाई तो पार्टी ने उनको शिक्षा राज्यमंत्री के पद से नवाजा. शिक्षा राज्यमंत्री पद पर रहते हुए डोटासरा ने शिक्षा विभाग में आमूलचूल परिवर्तन किये. पदभार संभालते ही उन्होंने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार पर शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप लगाया तो प्रदेश की राजनीति में वे एक बार फिर चर्चा का विषय बन गये. डोटासरा ने शिक्षा विभाग में पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार की ओर से लागू किये गये कई फैसलों को बदल दिया. सीएम अशोक गहलोत के करीबी डोटासरा अब पीसीसी चीफ के तौर पर अपनी नई पारी शुरू करने जा रहे हैं.

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