महामारी के बीच प्लाज्मा की ब्लैक-मार्केटिंग का पर्दाफाश - Khulasa Online महामारी के बीच प्लाज्मा की ब्लैक-मार्केटिंग का पर्दाफाश - Khulasa Online

महामारी के बीच प्लाज्मा की ब्लैक-मार्केटिंग का पर्दाफाश

प्लाज्मा थेरेपी, हालांकि चमत्कारी गोली नहीं है, लेकिन कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए पूरी दुनिया में इसकी मांग बढ़ी है. दरअसल, इस थेरेपी में कोविड मरीजों को रिकवर्ड मरीजों के एंटीबॉडी की प्रचुरता वाले खून से ट्रीट किया जाता है, जिसके अच्छे नतीजे सामने आए हैं.

लेकिन इंडिया टुडे की जांच ने इस जीवनरक्षक तरल पदार्थ की बढ़ती कालाबाजारी का पर्दाफाश किया है. असल में लोग हताशा में ऐसी कोई भी चीज खरीदने के लिए तैयार हैं जिसमें उन्हें अपने अपने बीमार प्रियजनों का जीवन बचाने की जरा सी भी उम्मीद नजर आती है.

प्लाज्मा थेरेपी का अविष्कार 1890 के दशक में डिप्थीरिया को ठीक करने के लिए किया गया था. 1918 की स्पैनिश फ्लू महामारी के दौरान प्लाज्मा थेरेपी ने मृत्यु दर को कम करने में मदद की. दुनिया भर के डॉक्टर अब मध्यम रूप से बीमार कोविड मरीजों के इलाज के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.

कोरोना वायरस इलाज में प्लाज्मा थेरेपी पर की गई कई स्टडी से भी उत्साह बढ़ाने वाले नतीजे सामने आए हैं. माउंट सिनाई (न्यूयॉर्क) में इकाह्न स्कूल ऑफ मेडिसिन में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ निकोल बाउवियर ने कहा- “हमारा उत्साह बढ़ता है, जब हमारे शुरुआती आकलन इस बात के समर्थन में सबूत देते हैं कि स्वास्थ्य के लिए लाभकारी प्लाज्मा (कोविड-19 के इलाज में) कारगर दखल है.” प्रो बाउवियर ने मई में सामने आई नई रिसर्च को-ऑथर (सह-लेखक) के तौर पर योगदान दिया.

प्लाज्मा की कालबाजारी

इंडिया टुडे की अंडरकवर जांच में सामने आया कि कुछ रिकवर्ड लोगों ने कोविड पॉजिटिव मरीजों को अपना प्लाज्मा (खून का तरल हिस्सा) देने के लिए डील को अंजाम दिया.

दिल्ली के जमरूदपुर निवासी मोहम्मद इलियास की दो महीने पहले कोरोना वायरस से रिकवरी हुई. जब इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने अस्पताल में भर्ती कोविड मरीज के तीमारदारों के तौर पर अपनी पहचान बता कर इलियास से प्लाज्मा दान करने का आग्रह किया, तो इलियास और उसके भतीजे असद खान ने पांच लाख रुपये की मांग की.

इलियास ने कहा- “हम प्लाज्मा देने के लिए तैयार हैं.”

इलियास के भतीजे असद खान ने इसके बदले में ली जाने रकम बताने में देर नहीं लगाई.

असद खान ने कहा, “जहां तक चार्ज का सवाल है तो वो पांच लाख रुपये हैं.”

रिपोर्टर- “प्लाज्मा देने के लिए?”

असद खान- “हां, आप हमें पेमेंट की शर्तें बताएं. नकद हमारे लिए बेहतर रहेगा.”

खान के 53 वर्षीय चाचा इलियास ने 20-25 दिनों के बाद, जरूरत पड़ने पर दूसरी खुराक के लिए अपना प्लाज्मा फिर बेचने की पेशकश की.

एक और रिकवर्ड मरीज, शमशेर सिंह (28 साल), को कोविड-19 के सफल इलाज के बाद पिछले महीने दिल्ली के एम्स से छुट्टी मिली थी. इंडिया टुडे की जांच के दौरान शमशेर सिंह को भी अपना प्लाज्मा देने के लिए कीमत पर मोलभाव करते पाया गया.

शमशेर सिंह ने पहले कहा- “यह 50,000 रुपये का है. फिर सिंह ने ‘’फाइनल कीमत” 40,000 रुपए बताई.

सिंह- “यह 40 (हजार) पर फाइनल हो गया और मैं यहां हूं. यह (प्लाज्मा) बेशकीमती है. कोई भी व्यक्ति दान करने के लिए तैयार नहीं है, आप जानते हैं.” सिंह ने “नकद में ही भुगतान’’ की शर्त भी रखी.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नंद नगरी के एक बिचौलिए मोहसिन ने पैसे के बदले प्लाज्मा दिलाने की पेशकश की. मोहसिन ने दावा किया कि वो कमीशन मिलने पर बदायूं में कोविड से रिकवर्ड लोगों से प्लाज्मा दान करा देगा.

मोहसिन ने कहा, “मैं इसे 50,000 से 100,000 रुपये के बीच करा दूंगा. आपके लिए इससे अधिक नहीं.”

मोहसिन- वे लोग यूपी में हैं. वे यहां नहीं रहते हैं लेकिन उनका कहना है कि अगर उनके खाते में कुछ पैसे ट्रांसफर हो जाएं, तो वे यहां आएंगे.”

मोहसिन ने बदायूं के पूर्व मरीजों के खाते में ट्रांसफर करने के लिए तत्काल 10,000 रुपये की मांग की. मोहसिन ने बताया कि बदायूं में रहने वाले दोनों पूर्व मरीज पति-पत्नी हैं.

कानून के तहत खून और उसके कम्पोनेंट्स (अवयवों) का पैसे के बदले में दान देना प्रतिबंधित है.

सरकार ने किया कार्रवाई का वादा

दिल्ली सरकार ने इंडिया टुडे की जांच पर तत्काल कार्रवाई का वादा किया है. राज्य सरकार ने हाल ही में शहर में दो प्लाज्मा बैंक लॉन्च किए हैं.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, “आप हमें पूरी जानकारी दें. कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”

जैन ने कहा, “यह (प्लाज्मा दान) एक पुनीत काम है. इसकी बिक्री या खरीद में कोई भी शामिल है तो वो दोषी है. हम बेचने वाले और खरीदने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे.”

दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल (एलएनजेपी) के अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल को जो प्लाज्मा दान में मिलता है उसका इस्तेमाल अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों के इलाज के लिए किया जाता है. एलएनजेपी में शहर के दो प्लाज्मा बैंकों में से एक बैंक स्थित है.

अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ सुरेश कुमार ने बताया, “हमारा लोक नायक अस्पताल सरकारी क्षेत्र का अस्पताल है. हम किसी बाहरी व्यक्ति को प्लाज्मा उपलब्ध नहीं कराते. प्लाज्मा थेरेपी के लिए बहुत डिमांड थी. एलएनजेपी अस्पताल किसी भी प्राइवेट सेक्टर के किसी ऑपरेटर को प्लाज्मा मुहैया नहीं कराता है.”

डॉ कुमार ने प्लाज्मा की कालाबाजारी करने वालों को चेतावनी दी कि वे अपने गैरकानूनी काम के लिए आपराधिक मुकदमे का सामना करेंगे. उन्होंने कहा, “सरकार बहुत सख्त है और इस गैरकानूनी काम में लिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी. हमारे पास कई ऐसे दानदाता हैं, जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के दो-दो बार प्लाज्मा दान किया. यही असली मकसद होना चाहिए.”

असल डोनर्स, रिसीवर्स ने की सख्त उपायों की मांग

बिना किसी स्वार्थ प्लाज्मा डोनेट करने वालों ने प्लाज्मा की ब्लैक-मार्केटिंग पर हैरानी व्यक्त की. दिल्ली में दो बार प्लाज्मा दान करने वाले विनीत भाटिया ने इस अवैध और अनैतिक काम को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया.

निरंजन काला के परिवार में एक शख्स को कोविड संक्रमण के दौरान प्लाज्मा थेरेपी मिली. उन्होंने भी ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.

काला ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि लोग स्वेच्छा से प्लाज्मा दान करेंगे और मरीजों से बदले में कुछ हासिल करने की अपेक्षा नहीं रखेंगे क्योंकि वे खराब स्थिति में हैं और उन्हें मदद की जरूरत है.”

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