घायल होना मृत्यु नहीं :डॉ. बिस्सा - Khulasa Online घायल होना मृत्यु नहीं :डॉ. बिस्सा - Khulasa Online

घायल होना मृत्यु नहीं :डॉ. बिस्सा

आरएसवी शिक्षण समूह द्वारा एक्सप्लोरिंग विजड़म पर्ल्स ऑनलाइन कार्यशाला में एक हज़ार ने की शिरकत
बीकानेर। घायल हो जाने का अर्थ मृत्यु नहीं होता। घायल हो जाने के बाद पुन: स्वास्थ्य लाभ लेकर जीवन रूपी समर के लिये कूद पढऩा ही जि़न्दगी है। यह विचार मैनेजमेंट ट्रेनर डॉ. गौरव बिस्सा ने आरएसवी शिक्षण समूह द्वारा आयोजित “एक्सप्लोरिंग विजड़म पर्ल्स : मीट द टॉपर्स” विषयक ऑनलाइन कार्यशाला में व्यक्त किये। इस कार्यशाला में स्कूल के टॉपर्स ने मैनेजमेंट ट्रेनर डॉ. बिस्सा से सीधा संवाद कर जीवन प्रबंध के सूत्र जान। डॉ. बिस्सा ने कहा कि जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा मूर्खतापूर्ण चर्चाओं, बेकार के वाहियात विश्लेषण और घटिया बकवास करने में नष्ट करना गलत है। टाइम मैनेजमेंट करना, प्राथमिकता सूची का निर्माण करना तथा हर पल समय का सदुपयोग आवश्यक है। डॉ. बिस्सा ने रिसर्च के माध्यम से बताया कि व्यक्ति कम्पनी का, सरकार का, व्यवसाय का कर्मचारी होने से पहले अपनी माँ का पुत्र, अपनी पत्नी का पति और अपने बच्चों के पिता होता है। धन प्राप्ति की इच्छा के कारण परिवार का बिखराव होना सही नहीं है अत: वर्क लाइफ बैलेंस बनाए रखें. डॉ. बिस्सा ने कहा कि कर्म में जुटे रहें लेकिन अपनों का साथ न छोड़ें वरना संसार बेरंग हो जायेगा।
टाइम मैनेजमेंट हेतु डॉ. बिस्सा ने टाइम लॉग तैयार करने, इवेंट डायरी लिखने, तथा समय की ऑडिट करने की महत्ता समझाई। उन्होंने कहा कि अनुत्पादक गतिविधियों में लगने वाले समय को कम करके, उस समय को उत्पादक गतिविधियों में लगाया जाना ज़रूरी है। डॉ. बिस्सा ने आंतरिक खुशी को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि जिस खुशी को हम बाहर के संसाधनों में खोजते हैं वह तो हमारे भीतर पहले से ही मौजूद है. दौलत और जायदाद के भंडारण के नशे से मुक्त होने पर ही आंतरिक आनंद प्राप्त हो सकता है। आरएसवी शिक्षण समूह के सीईओ आदित्य स्वामी ने कहा कि संयुक्त परिवारों के कम होने, बच्चों में बचपन से ही अहंकार के बीजारोपण होने, पढाई के अनावश्यक दबाव, इन्टरनेट क्रांति और मोबाइल, सोशियल मीडिया के अत्यधिक उपयोग आदि के कारण संस्कारों में कमी आ रही है. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में पनपते बुराई के बीज को प्रारम्भ में ही समूल नष्ट कर दिया जाए तो भविष्य आनंदमयी हो जाता है।आरएसवी शिक्षण समूह की निदेशक अकादमिक निधी स्वामी ने बताया कि कार्यशाला में टॉपर्स के अलावा व्याख्याताओं, विद्यार्थियों और शिक्षाविदों ने शिरकत की. कार्यशाला में लगभग एक हजार प्रतिभागी उपस्थित थे. श्रीमती निधि ने कहा कि आरएसवी शिक्षण समूह ऑनलाइन शिक्षण के माध्यम से अब तक पांच हज़ार परिवारों को चरित्र निर्माण और मानवता की शिक्षा प्रदान कर चुका है। कार्य्रकम के प्रारम्भ में समन्वयक डॉ. पुनीत चोपड़ा ने आरएसवी शिक्षण समूह के नवाचारों पर प्रस्तुतीकरण दिया। कार्यक्रम का संचालन और आभार ज्ञापन नीरज श्रीवास्तव ने किया।

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