'मंगळ गावै मोद मनावै, मरुधर म्हारो देस.!' - Khulasa Online 'मंगळ गावै मोद मनावै, मरुधर म्हारो देस.!' - Khulasa Online

‘मंगळ गावै मोद मनावै, मरुधर म्हारो देस.!’

वेबलाइन सीरीज में अन्तरराष्ट्रीय राजस्थानी कवि सम्मेलन आयोजित

लूणकरणसर। ‘प्रीत कसौटी खरो उतरतो निछरावळ हमेस, मंगळ गावै मोद मनावै, मरुधर म्हारो देस।’ युवा कवि राजूराम बिजारणियां ने राजस्थानी रंग उड़ेलती कविता सुनाई तो सबकी आंखों में राजस्थान का गौरव छलक आया। लन्दन से संचालित “जै जै राजस्थान” द्वारा वेबलाइन कवि सम्मेलन श्रृंखला में ख्यातनाम रचनाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। कवि सम्मेलन का प्रसारण लन्दन, न्यूयॉर्क और भारत के वेब प्लेटफॉर्म से हुआ जिसे हजारों व्यूवर्स ने देखा और सुना। राजूराम बिजारणियां, लूणकरणसर ने ‘बेटा कद आवैला गांव’, ‘छांव सरीखी बेटी’, ‘धत्त तेरे की’ गीत के साथ-साथ राजस्थानी ग़ज़लें सुनाकर सम्मेलन को गति दी। वहीं गीतकार धनराज दाधीच, जयपुर ने ‘गाँव गळी चौबारा छूट्या एक पेट कारणै’ गीत में प्रवासी लोगों की पीड़ा बयां की। साथ ही ‘बात-बात पर रोज मिजाजण रूस्या ना करो’ की मोहक प्रस्तुति भी दी। कवयित्री आशा पाण्डेय ओझा, उदयपुर ने ‘मुजरा करता रुंखड़ा, लुळ लुळ जावै धान’ और ‘आ सुरंगे सावण री डोकरी’ सहित कई रचनाओं से माहौल भावपूर्ण बना दिया। सम्मेलन का संचालन छैलू चारण ‘छैल’ ने किया। इस दौरान बिजारणियां ने राजस्थानी मान्यता के लिए पुरजोर पैरवी की। आयोजन के अंत में जै जै राजस्थान के हनवंतसिंह राजपुरोहित लंदन, सत्यनारायण राजस्थानी ‘सत्तु’, छैलू चारण ‘छैल’, अचल सोनी, अरुण माहेश्वरी, आकाश मोदी, अमित सिखवाल, सुरेश चौधरी, दिलीप बछाणी, दिवाकर, शशि बंसल सहित सभी ने इस कार्यक्रम को राजस्थानी साहित्य, भाषा और संस्कृति के संवर्द्धन में मील का पत्थर बताया।

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