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जी का जंजाल बन गया केसीसी खाता महाजन एसबीआई में अव्यवस्थाओं से किसान परेशान

नहीं मिलता क्लेम, कटौतियों की भरमार
महेश कुमार देरासरी
महाजन। बैंक प्रबंधन की उदासीनता और असहयोग के कारण भारत सरकार की महत्वाकांक्षी किसान क्रेडिट योजना ढाक के तीन पात साबित हो रही है। प्रबंधन की लापरवाही के कारण एक और जहां ग्रामीण क्षेत्र के काश्तकार किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए भटक रहे हैं वहीं नियमित रूप से प्रीमियम भरने के बावजूद खराबे की स्थिति में मुआवजे से भी वंचित रहते हैं। त्रासदी की बात यह है कि बैंक अधिकारी किसानों की चिंता करने की जगह बीमा कंपनियों के पैरोकार बन कर रह गए हैं। इस प्रकार के मामले में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगे जाने पर आवेदकों को टरकाया जा रहा है।
मुश्किल है केसीसी बनाना
 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की महाजन शाखा में केसीसी बनाना टेढी खीर है। नियमानुसार कृषि भूमि के तमाम दस्तावेज जमा करवाने के बावजूद दो-तीन महीने तक काश्तकारों से चक्कर लगवाए जाते हैं। तमाम खानापूर्ति करने के बावजूद काश्तकारों को ₹50000 प्रति बीघा बाजार भाव वाली जमीन के लिए ₹5000 प्रति बीघा कैसीसी  बनाने में भी आनाकानी की जाती है।
नहीं मिलता खराबे का क्लेम
 बैंक प्रबंधन किसानों के खाते से स्वत: प्रीमियम तो काट लेता है लेकिन खराबे का विवरण दर्ज नहीं करता है। इससे किसानों को अकाल की स्थिति में प्रीमियम के भुगतान के बावजूद क्लेम के लिए तरसना पड़ता है। अगर क्लेम मिलता है तो भी वास्तविक खराबे से अत्यंत कम यानी ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर।
सर्वे व लीगल फीस के नाम पर किसानों की जेब कटौती
 किसान क्रेडिट कार्ड में खाता खुलवाने वाले काश्तकारों के खाते से बैंक प्रबंधक वार्षिक निरीक्षण व लीगल फीस के नाम पर हजारों रुपए वसूल कर लेता है। त्रासदी की बात यह है कि इस प्रकार कटौती करने के बारे में खाताधारक को सूचित तक नहीं किया जाता है। कई बार काश्तकारों के खाते से दोहरी कटौती तक हो जाती है।
सूचना के अधिकार का सरेआम उल्लंघन
 सरकार ने आम लोगों को न्याय व अपना हक दिलाने के लिए सूचना के अधिकार को लागू तो कर दिया मगर स्थानीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा में सूचना के अधिकार की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है।नियमानुसार केसीसी व अन्य खातों में कटौती व अन्य जानकारी हासिल करने के लिए निर्धारित शुल्क व आवेदन पत्र जमा करवाने के बावजूद काश्तकारों को आम लोगों को सूचना उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी चाहने वाले लोगों पर बैंक प्रबंधक दबाव दिलवाकर मौन करवाना चाहता है। बैंक में आए दिन काश्तकारों व आम लोगों को सूचना प्राप्त करने के लिए उलझते देखा जा सकता है।
बैंकिंग सेवा में दलालों का दखल
स्थानीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में लोन प्राप्त करना व अन्य बैंकिंग सुविधाओं का इस्तेमाल करना दुष्कर हो गया है। अपना काम कम करने की गरज से बैंक प्रबंधक लोगों को बैंक से बाहर निजी व्यवसाय करने वाले व्यक्तियों के पास भेजता है जिससे उनको दोहरी ठगी का सामना करना पड़ता है।
काश्तकारों के खातों पर होल्ड लगाकर किया जा रहा है परेशान
स्थानीय एसबीआई शाखा में जो काश्तकार समय पर खाता रोल ओवर नही करवा पाता है। शाखा उनके अन्य खातों पर होल्ड लगाकर जलील करती है। उसके खाते से लेनदेन का कार्य बंद हो जाता है। जिससे उपभोक्ताओ को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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