बीकानेर में जुटेंगे देश-विदेश के बुद्धिजीवी - Khulasa Online बीकानेर में जुटेंगे देश-विदेश के बुद्धिजीवी - Khulasa Online

बीकानेर में जुटेंगे देश-विदेश के बुद्धिजीवी

लालगढ़ पैलेस में 3 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 13 से 15 सितम्बर
बीकानेर । भारतीय मूल के संस्कृति विशेषज्ञ होमी भाभा द्वारा प्रतिपादित कल्चरल ट्रांसलेशन का मत समकालीन विश्व में नए शोध आयामों तथा जीवन शैली का सृजन करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है । संगोष्ठी की संयोजिका प्रोफेसर डॉ. दिव्या जोशी ने बताया कि सिजुरे कलेक्टिव सोसाइटी की लालगढ़ पैलेस में 13 से 15 सितम्बर को आयोजित होने वाली तृतीय वार्षिक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान इसी मत पर चिंतन तथा विमर्श के माध्यम से कल्चरल ट्रांसलेशन की प्रक्रिया को समझने का प्रयास किया जायेगा । इस संगोष्ठी में देश-विदेशसे आये 70 से अधिक विद्वान भाषा, कला, संगीत में आये बदलावों तथा समाज पर उनके प्रभाव की विवेचना करेंगे। भारत के सन्दर्भ में राष्ट्रीय स्तर पर यह मत तथा इससे जुड़े शोध एवं प्रयास अत्यंत प्रासंगिक है, क्योंकि यहाँ प्राचीन स्थानीय संस्कृति का परिरक्षण, विदेशी संस्कृतियों का विलयन तथा नयी संस्कृतियों का सृजन निरंतर हजारों वर्षों से चल रहा है । सिजुरे सोसाइटी इस तरह के अकादमिक विमर्शों के माध्यम से कला एवं साहित्य में शोध को बढ़ावा देने तथा रचनात्मक लेखन, संगीत, चलचित्र, छायाचित्र, कला प्रदर्शनियों के माध्यम से कलाओं के पुनरुत्थान के प्रयोजन को सार्थक रूप देने के लिए प्रयासरत है ।
कल्चरल ट्रांसलेशन ग्रंथों के आवागमन या अनुवाद की नहीं अपितु व्यक्तियों (आत्मनिष्ठ) की एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति में आवागमन की प्रक्रिया है । वैश्वीकरण के प्रवाह के चलते हमारे आधारभूत सांस्कृतिक मूल्यों एवं देशज कलाओं की सामाजिक सक्रियता एवं गतिशीलता में आई कमी आई है।

 

इस संगोष्ठी का आयोजन छोटी काशी कहलाये जाने वाले बीकानेर में करने का उद्देश्य भी यहाँ की अतुलनीय मौखिक धरोहर को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर तथा मुख्यधारा में जोडऩे की दिशा में एक छोटा सा प्रयास है । अंतर्विषयक अकादमिक चिंतन के माध्यम से सांस्कृतिक ट्रांसलेशन की प्रक्रिया एवं प्रभावों के विमर्श के साथ साथ इस संगोष्ठी का यह भी प्रयास रहेगा की मूल संस्कृति और कला के बारे में लोक जागृति के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोक कला को समुचित सामाजिक पहचान मिले तथा इससे जुड़े कलाकारों के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध हो सके । संगोष्ठी में चर्चाओं से निकलने वाले निष्कर्षों का प्रतिवेदन तैयार कर सरकारी तंत्र का ध्यान भी इस और खींचने का प्रयास किया जाएगा ।
डॉ. जोशी ने बताया की तीन दिवसीय संगोष्ठी में देश विदेश के 70 से अधिक बुद्धिजीवी विमर्श, प्रदर्शन, साक्षात्कार, कार्यशाला के माध्यम से ज्वलंत विषयों पर परिचर्चा करेंगे ढ्ढ संगोष्ठी में 09 तकनीकी सत्र व 05पैनल चर्चाएं होंगी ढ्ढ मिशिगन, हवाई व फ्रांस के प्रोफेसर स्काइप प्रस्तुतीकरण के माध्यम से संगोष्ठी के सम्भागियों तक अपनी बात पहुँचायेंगे ढ्ढ रचनात्मक पक्षों से सम्बंधित पैनल समसामयिक बिषयों तथा भौतिकवाद से उत्पन्न सांस्कृतिक बदलाव एवं प्रक्रिया को कल्चरल टर्न के माध्यम से केन्द्रित करेंगे ढ्ढ जाने-माने उपन्यासकार एवं समीक्षक साकेत मजूमदार अपनी नवीनतम पुस्तक ‘दी सेंट ऑफ गॉडÓ पर चर्चा करेंगे ढ्ढ अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट की चेयरपर्सन तथा बीकानेर की राजकुमारी राज्यश्री करेंगी ढ्ढ मुख्य अतिथि स्थायी लोक अदालत की चेयरमैन डॉ. कमल दत्ता तथा विशिष्ठ अतिथि मुरैना (मध्यप्रदेश) की जिला कलेक्टर प्रियंका दास होंगी।
इस तीन दिवसीय संगोष्ठी में कला एवं संगीत कार्यशालाओं को समावेश करने का उद्देश्य राजस्थान की प्राचीनतम चित्रकला विधि, फड़ चित्रकारी तथा फड़ प्रस्तुतीकरण को युवाओं तक पहुँचाना है । संगोष्ठी में प्रसिद्ध फड़ चित्रकार सत्यनारायण जोशी की और से कला प्रेमियों को इस प्राचीन /समृद्ध तथा लुप्त होती परंपरा से परिचित करवाया जायेगा।14 सितम्बर को लोक संगीत का प्रस्तुतीकरण भी हमारी संस्कृति के अस्पर्श्य पक्षों को प्रोत्साहन देने तथा विविध कौशल को एक मंच पर लाने की कोशिश है। पत्रकार वार्ता में डॉ प्रशंात बिस्सा,राजेन्द्र सिंह,श्वेता कुमारी व नीतू बिस्सा भी मौजूद रही।

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