अगर आप वाहन का बीमा करवाने की सोच रहे हो तो पढ़े पहले ये खबर
नई दिल्ली, आमतौर पर लोग कार या मोटरसाइकिल खरीद लेते हैं लेकिन इनका इंश्योरेंस कराने से कतराते हैं। ज्यादातर खरीददार मोटर बीमा को एक खर्चा मानते हैं और अपनी गाड़ी के लिए बीमा नहीं लेते हैं। इसका एक बड़ा नुकसान यह होता है अगर किसी दुर्घटना में गाड़ी खराब हो जाए तो उसका खर्च उठाने के लिए ग्राहक के पास बीमा नहीं होता है।ऑटो एक्सपर्ट मानते हैं कि गाड़ी की बीमा करा लेना जरूरी होता है, इससे आपातकाल के समय इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि मोटर व्हीकल कानून लागू होने के बाद गाड़ी की बीमा कराना जरूरी हो गया है नहीं तो आपको भारतीय सड़कों पर गाड़ी चलाने के लिए दो हजार रुपये हर्जाना या तीन साल की सजा हो सकती है। गाड़ी का बीमा या पहले से लिए गए बीमा को रिन्यू कराते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ये जान लेना बेहद जरूरी है…मोटर बीमा पॉलिसी लेने के दो आधार हैं, पहला थर्ड-पार्टी लायबिलिटी जिसमें दूसरे की गाड़ी को हुए नुकसान की भरपाई करनी होती है और दूसरा ओन-डैेमेज, इसमें अपनी गाड़ी को हुए नुकसान के लिए कवर मिलता है। थर्ड पार्टी लायबिलिटी लेना जरूरी है और ओन डैमेज वैकल्पिक है। देश के उच्चतम न्यायालय की ओर से दिए गए दिशा-निर्देशों के बाद से बीमा कंपनियों को लंबी अवधि के लिए बीमा कवर देना अनिवार्य हो गया है। गाड़ी का बीमा हो या बीमा को रिन्यू कराना हो, सबसे ज्यादा जरूरी होता है कम प्रीमियम वाले बीमा कंपनी की तलाश करना।
एड-ऑन सुविधा वाला बीमा लें
मोटर बीमा पॉलिसी आपको ये सुविधा देती है कि आप अपने अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान कर एड-ऑन की सुविधा ले सकें। नए वाहनों के लिए जीरो डेप्रिसिएशन एड-ऑन जैसा कवर ले सकते हैं। ये कवर नए वाहनों पर देय दावे और क्लेम पेयबल को बढ़ाता है। अगर आपके पास पुराना वाहन तो इस कवर का कोई फायदा नहीं। मान लीजिए कि आप बाढ़ प्रभावित इलाके में रहते हैं तो आप इंजन प्रोटेक्ट जैसे एड-ऑन कवर ले सकते हैं लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि अगर आपको जरूरत है तो ही एड-ऑन कवर लें नहीं तो ये आपके प्रीमियम पर अतिरिक्त भार बन सकता है।