नहर में टूटने से सैकड़ों बीघा में फसल जलमग्न - Khulasa Online नहर में टूटने से सैकड़ों बीघा में फसल जलमग्न - Khulasa Online

नहर में टूटने से सैकड़ों बीघा में फसल जलमग्न

हनुमानगढ़। गांव सतीपुरा की रोही चक 44 एनजीसी में छह दिन में दूसरी बार ओवरफ्लो होकर साउथ घग्घर कैनाल (एनजीसी) टूट गई। इससे सैकड़ों बीघा में फसल जलमग्न हो गई। खेतों में पानी ठहराव से फसलों को नुकसान हुआ। जल संसाधन विभाग ने हर बार की तरह खानापूर्ति कर पिंड छुड़ा लिया। एनजीसी लगभग हर साल टूट जाती है। इसके बावजूद सैकड़ों करोड़ रुपए के बजट वाले विभाग ने नहर को टूटने से बचाने के लिए पुख्ता प्रबंध नहीं किए हैं। जानकारी के अनुसार बुधवार रात चक 44 एनजीसी में बुर्जी संख्या 79 से 80 के बीच रात करीब 1-1.30 बजे नहर के पटड़े में उसी जगह कटाव आया जहां छह दिन पहले नहर टूटने पर विभागीय अधिकारियों ने रेत के थैले भरकर लगाए गए थे। रात्रि को नहर में पानी पहुंचते ही रेत के कट्टे पानी के बहाव में बह गए और फिर करीब 20 फीट तक कटाव आने से पानी सैकड़ों बीघा में खड़ी गेहूं की फसल में फैल गया। हालांकि पहले जब नहर टूटी थी तभी चिपते ही खड़ी करीब 20 बीघा गेहूं की फसल जलमग्न होने से खराब हो गई थी। बची उम्मीद पर भी अब टूटी नहर ने पानी फेर दिया। इससे किसानों में विभागीय अधिकारियों के खिलाफ काफी नाराजगी देखने को मिली। मौके पर किसी जिम्मेवार अधिकारी के न पहुंचने पर यह नाराजगी और बढ़ गई। बुधवार रात करीब 1 बजे जब एनजीसी नहर में पानी पहुंचा तो चक 44 एनजीसी के पास नहर में पूर्व की जगह पर कटाव आ गया। इससे पानी आसपास के खेतों में खड़ी फसल में फैल गया। अल सुबह किसानों को इसकी सूचना मिली तो वे मौके पर पहुंचे और विभागीय अधिकारियों व नहर अध्यक्ष को सूचना दी। काफी देर बाद जाकर पीछे से नहर बंद करवाई गई। मौके पर मौजूद किसान शाहनबाज व काले खां ने आरोप लगाया कि छह दिन पहले जब नहर टूटी थी तब विभागीय अधिकारी रेत से भरे कट्टे लगा खानापूर्ति कर चले गए। पूर्व में भी जब नहर टूटी थी तब किसी किसान को नहर में पानी छोडऩे की सूचना नहीं दी गई थी। अब भी यही हुआ। किसानों को सूचना दिए बगैर ही नहर में पानी छोड़ दिया गया। अब फिर किसानों को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि पहले विभाग कटाव की जगह को पक्का करवाता, इसके बाद पानी छोड़ा जाता। लेकिन विभाग के अधिकारी उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे। न ही किसी जनप्रतिनिधि ने मौके पर आकर उनकी पीड़ा जानने का प्रयास किया। वे खुद अपने स्तर पर सुबह 4 बजे से नहर में आए कटाव को भरने का प्रयास कर रहे हैं। इन किसानों का कहना था कि वे जमीन ठेके पर लेकर काश्त करते हैं। नहर टूटने से उनकी फसल सारी तबाह हो गई है, उन्होंने खराब हुई फसल का शीघ्र मुआवजा देने की मांग प्रशासन से की। साथ ही कहा कि नहर की भी मरम्मत करवाई जाए।

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