गांवों में कैसे स्वस्थ रहे जच्चा-बच्चा? - Khulasa Online गांवों में कैसे स्वस्थ रहे जच्चा-बच्चा? - Khulasa Online

गांवों में कैसे स्वस्थ रहे जच्चा-बच्चा?

सीएचसी पर न स्त्री रोग विशेषज्ञ है न शिशु रोग विशेषज्ञ
बीकानेर। भले ही सरकार व विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के पुख्ता होने के दावे करे मगर हकीकत यह है कि जिले में संचालित हो रहे अधिकांश सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर स्त्री रोग व बाल रोग विशेषज्ञ की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को मजबूरी में समय व धन की खपत कर पीबीएम अस्पताल इलाज के लिए आना पड़ा रहा है। इससे सरकार के मातृ एवं शिशु सुरक्षा के दावों की भी पोल खुल रही है। वहीं जननी सुरक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है पता चल रहा है। जानकारी के अनुसार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 13 स्थानों पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र संचालित हो रहे है मगर स्थिति यह है कि 16 सामुदायिक केन्द्र में पद स्वीकृत होने के बाद भी महज एक सीएचसी पर स्त्री रोग विशेषज्ञ और दो सीएससी पर बाल रोग विशेषज्ञ ही कार्यरत है। विशेषज्ञों की सुविधा नहीं मिलने का खामियाजा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को भुगतना पड़ रहा है।
शिशुओं की सुरक्षा राम भरोसे
सरकार व विभाग की उदासीनता के चलते कोलायत,श्रीडूंगरगढ़ व लूणकरणसर सीएचसी को छोड़ दिया जाए तो शेष तेरह स्थानों पर संचालित हो रहे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में बाल रोग विशेषज्ञ भी कार्यरत नहीं है। जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों के शिशुओं को बाल रोग विशेषज्ञ की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही है। विशेषज्ञ चिकित्सकीय सेवाओं के लिए अभिभावकों को अपने बच्चों के इलाज के लिए पीबीएम अस्पताल की ओर रुख मजबूरी में करना पड़ रहा है। या नीम हकीमों व झोलाछाप चिकित्सकों को दिखाना पड़ता है। जिसके कारण न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है बल्कि आर्थिक रुप से भारी पड़ रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में सामान्य चिकित्सकों से ही बच्चों के इलाज के लिए ग्रामीण मजबूर है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में ग्रामीण क्षेत्रों में शिशुओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा भगवान भरोसे है।
नहीं मिल रही सर्जरी की सुविधाएं
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में और कितनी घोर लापरवाही हो सकती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सर्जन तक की सुविधाएं नसीब नहीं हो रही है। जानकारी के अनुसार जिले में संचालित हो रही सोलह सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से महज एक श्रीडूंगरगढ़ सीएचसी को छोड़ दिया जाए तो शेष पन्द्रह सीएचसी में सर्जन तक नहीं है। इसके अभाव में ग्रामीण सर्जरी की छोटी-मोटी स्वास्थ्य सेवाओं से भी वंचित है। हालात यह है कि सामान्य सर्जरी की आवश्यकता पर भी ग्रामीणों को शहर की ओर रुख करना पड़ रहा है। सर्जन की कमी के कारण सीजेरियन प्रसव, आपातकाल की स्थिति व दुर्घटना होने पर सर्जरी की सेवाएं ग्रामीणों को नहीं मिल रही है। मजबूरी में शहर की ओर उनको इलाज के लिए आना पड़ रहा है।
नहीं मिले रहे विशेषज्ञ चिकित्सक
एक तरफ जहां चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी बनी हुई है वहीं दूसरी और निजी क्षेत्रों में कार्य रहे विशेषज्ञ चिकित्सकों की दूरी भी विभाग से बनी हुई है। बताया जा रहा है कि प्राइवेट विशेषज्ञ चिकित्सकों सीएचसी पर सेवाएं देने में कोई रुचि नहीं दिखा रहे है। सरकार प्राइवेट क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञ चिकित्सकों को सीएचसी पर कार्य करने के लिए तैयार करने में कामयाब नहीं हो पा रहा है जिसके चलते सीएचसी पर विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव बना हुआ है। अस्सी हजार रुपए प्रतिमाह का फिक्स वेतन भी विशेषज्ञ चिकित्सकों को ग्रामीण सेवाओं की ओर आकर्षित नहीं कर पा रहा है।
सरकार स्तर का मामला
चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सकों की नियुक्ति का मामला सरकार स्तर का है। समय समय पर रिक्त पदों की स्थिति से सरकार को अवगत करवाया जा रहा है। सरकार एवं विभाग सीएचसी पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए न केवल गंभीर है बल्कि सतत प्रयास भी किए जा रहे है। संभव है कुछ सीएचसी पर आने वाले समय में विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध हो जाए।
डॉ.देवेन्द्र चौधरी, सीएचएचओ, बीकानेर।

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