मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के नाम पर प्रदेश में भारी गड़बड़झाला
प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में बड़ी संख्या में सीटें खाली रह गई
होनहार के साथ धोखा
होनहार विद्यार्थी को नहीं मिल पा रही मनपसंद कॉलेज की सीट
बीकानेर। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के प्रवेश को लेकर भारी अनियमितता सामने आने की आ्रशंका जताई जा रही है। वर्तमान में प्रदेशभर की मेडिकल कॉलेजों में सात सौ से अधिक सीटें खाली बताई जा रही है। इन सीटों पर प्रवेश के नाम पर नियमों को तोड़ा मरोड़ा गया है। ऐसे में जयपुर सहित प्रदेशभर में अभ्यर्थियों के परिजनों ने आक्रोश व्यक्त किया है।
दरअसल, जो अभ्यर्थी पहली व दूसरी कॉउंसलिंग में किसी भी मेडिकल कॉलेज का चयन कर चुके हैं तो उन्हें मॉपअप राउंड में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं होता है। इसके बाद भी बड़ी संख्या में उन अभ्यर्थियों को अवसर दिया जा रहा है जो पहले ही अपने महाविद्यालय का चयन कर चुके हैं। ऐसे विद्यार्थियों को पूर्व में चयनित कॉलेज को छोडऩा पड़ रहा है। इन विद्यार्थियों ने अपने कॉलेज छोडकऱ मॉपअप राउंड में हिस्सा लिया। ऐसे में बड़ी संख्या में छात्रों को अधिक अंक होते हुए भी अपने पस ंदीदा कॉलेज नहीं मिल पाए जबकि कम अंक वाले विद्यार्थियों को उनके पसंद के कॉलेज आवंटित हो गए।
आरोप है कि चयन समिति ने गुपचुप तरीके से एक नोटिफिकेशन जारी करके अपने चहेते विद्यार्थियों को ही कॉलेज छोडकऱ नए सिरे से शामिल होने की सूचना दी। इस कारण बड़ी संख्या में योग्य अभ्यर्थी मॉपअप राउंड में शामिल ही नहीं हो सके क्योंकि उनके पास इस आशय की कोई सूचना नहीं थी। वहीं दूसरी तरफ जिन अभ्यर्थियों को नोटिफिकेशन की सूचना मिली उन्होंने इस काउंसलिंग में हिस्सा ले लिया, भले ही उनके अंक योग्य अभ्यर्थियों से कम ही आए हो। अब इसी का विरोध किया जा रहा है कि नियम क्यों बदले गए।
सरकार मौन क्यों?
इस पूरे विवादित मामले में सरकार पूरी तरह से मौन है। राज्य सरकार ने अब तक कोई भी संज्ञान नहीं लिया है जबकि अभ्यर्थी चयन प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच की मांग कर
रहे हैं।
चयन समिति में गड़बड़ी?
आरोप लगाया जा रहा है कि अपने परिचितों को इच्छित मेडिकल कॉलेज दिलाने के लिए चयन समिति के सदस्यों ने अचानक नियम बदला और सिर्फ चहेतों को इस बारे में बताया।
क्या फर्क पड़ेगा इसका?
जिन विद्यार्थियों के अधिक अंक है वो सामान्य कॉलेज में प्रवेश ले पा रहे हैं जबकि कम अंक लाने वाले विद्यार्थी जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा व अजमेर के प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रवेश ले रहे हैं।
आगे क्या हो सकता है?
बड़ी संख्या में विद्यार्थी अब अदालत का दरवाजा खटखटाने पर विचार कर रहे हैं। ऐसे में अगर अदालत ने प्रक्रिया को रोका तो न सिर्फ पढ़ाई का नुकसान होगा, बल्कि प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करने में काफी समय लग सकता है।
धनवानों का अलग ही आरक्षण है नीट में सफलता के लिए
नीट की परीक्षा में चयनित होने वाले अभ्यर्थियों में वैसे तो जातीय आधार पर आरक्षण दिया जा रहा था, इसके बाद आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण दिया गया। इसके अलावा भी एक आरक्षण है जो सबसे भारी है। यह है धनवान लोगों का आरक्षण। देश के सभी मेडिकल कॉलेज में क ुछ सीटें ‘पेड सीटेंÓ हैं। इन सीटों पर प्रवेश विद्यार्थी के अंक के आधार पर नहीं मिल रहा है बल्कि फ ीस जमा करा पाने की उसकी आर्थिक हैसियत के हिसाब से मिल रहा है। ऐसे में अधिकांश नए मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पेड सीट पर हो रहा है। जहां साल के आठ-दस लाख रुपए से लेकर बीस लाख रुपए तक में प्रवेश होता है। यह फीस सालभर में करीब एक करोड रुपए तक होता है। कॉलेज इन अभिभावकों से एक साथ फीस जमा कराने का दबाव भी बना रहे हैं। ऐसे में उन गरीब होनहार विद्यार्थियों पर सीधा फर्क पड़ता है जो अच्छे नंबर लेकर भी बाहर रहता है, धनवान बच्चे कम अंक लाकर भी प्रवेश पा जाते हैं।