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फुटबाल बनी अंतिम वर्ष की परीक्षाएं,क्या इस पर हो रही है सियासत

बीकानेर। कोरोना और राजस्थान की सियासत में प्रदेश के करीब छह लाख विद्यार्थियों का भविष्य अधर में अटक गया है। यह कॉलेज के अंतिम वर्ष के विद्यार्थी हैं, जिन्हें अब तक समझ में नहीं आ रहा है कि परीक्षा की तैयारी करनी है या नहीं। दरअसल राजस्थान सहित कई राज्यों ने कोरोना के बीच में परीक्षाओं का आयोजन नहीं होने की स्थिति को देखते हुए अपने हिसाब से कॉलेज विद्यार्थियों को प्रमोट करने का फरमान जारी कर दिया। लेकिन, बाद में मामले में गठित कमेटी की सिफारिश पर यूजीसी ने यूजी व पीजी अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने का फैसला ले लिया। जिसको लेकर राज्य सरकार, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को यूजीसी ने पत्र भी जारी कर दिया। लेकिन, इसी बीच राजस्थान में सियासी संकट गहरा गया। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट व समर्थकों की बगावत के चलते सरकार का पूरा ध्यान उसी पर केन्द्रित हो गया। जिसके चलते राज्य सरकार ने मामले में अब तक कोई आदेश जारी नहीं किए। लिहाजा अंतिम वर्ष के विद्यार्थी गफलत में फंस गए हैं कि परीक्षा होगी भी या नहीं। विद्यार्थियों ने मांग की है कि राज्य सरकार जल्द इस बारे में फैसला करे। ताकि विद्यार्थी उसी आधार पर खुद को मानसिक रूप से तैयार करे।
परीक्षा होना तय
इधर, मामले में विशेषज्ञों का मानना है कि कॉलेज के अंतिम वर्ष की परीक्षा हर राज्य में करवाई जाएगी। क्योंकि मानव संसाधन मंत्रालय ने मामले में गठित समिति की सिफारिश पर अपना पुराना फैसला बदलते हुए सितम्बर के अंतिम सप्ताह तक परीक्षाएं करवाने के लिये विवि को कह दिया है। जिसमें अब बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार को भी अपना फैसला बदलते हुए अंतिम वर्ष की परीक्षाएं करवानी पड़ सकती है। विशेषज्ञों ने सही मूल्यांकन के लिए परीक्षाएं करवाना उचित भी ठहराया है।
केंद्र सरकार से लगा चुके हैं गुहार
मानव संसाधन विकास मंत्रालय व यूजीसी के फैसले के बाद हालांकि राज्य सरकार की परेशानी भी बढ़ गई है। क्योंकि अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट करने का आदेश सरकार जारी कर चुकी है। ऐेसे में उस आदेश को बदलकर कोरोना काल में परीक्षा की व्यवस्था करवाना भारी परेशानी हो गई है। लिहाजा राजस्थान के अलावा दिल्ली, मध्यप्रदेश, पंजाब व कर्नाटक सहित कई राज्यों ने प्रधानमंत्री व केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री को पत्र भी लिखा है। जिसमें केन्द्र सरकार से वर्तमान स्थितियों को देखते हुए परीक्षा नहीं कराने की छूट मांगी गई है। लेकिन, वहां से भी अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।
प्रदेश में सरकार संग्राम में उलझी, विभाग नहीं कर पा रहा निर्णय
प्रदेश में कॉलेज विद्यार्थियों को प्रमोट तो कर दिया गया लेकिन यूजीसी का पत्र आने के बाद तस्वीर पूरी तरह बदल गई। यूजीसी के पत्र आने के बाद उच्च शिक्षा मंत्री ने राज्यपाल को पत्र दिया था। अगले ही दिन प्रदेश में सियासी संग्राम छिड़ गया। ऐसे में अब सरकार तो संग्राम में उलझी हुई है और उच्च शिक्षा विभाग कोई निर्णय नहीं कर पा रहा है। ऐसे में विद्यार्थियों का भविष्य पूरी तरह उलझा हुआ है।
छह लाख से अधिक विद्यार्थियों को इंतजार
केन्द्र और राज्य सरकार के अलग-अलग तर्क की बजह से कॉलेजों में अध्ययनरत विद्यार्थियों का भविष्य उलझा हुआ है। प्रदेश के छह लाख से अधिक विद्यार्थियों को सरकार के नए फैसले का इंतजार है।
राजनीति का शिकार तो नहीं हो रहे विद्यार्थी
गौर करने वाली बात यह है कि जिन पांच राज्यों ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं नहीं करवाने का फरमान जारी किया है। उनमें से तीन में कांग्रेस व एक में आप की सरकार है। वहीं एक भाजपा शासित राज्य भी शामिल है। ऐसे में बार बार परीक्षाओं को लेकर खबरों के चलते विद्यार्थी ऊहापोह की स्थिति में है। अब उन्हें ऐसे लगने लगा है कि अलग अलग पार्टी विचारधाराओं के चलते कही इसका राजनीतिकरण तो नहीं हो रहा है।

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