दुर्घटनाओं में संजीवनी का काम करता है फस्टएड - Khulasa Online दुर्घटनाओं में संजीवनी का काम करता है फस्टएड - Khulasa Online

दुर्घटनाओं में संजीवनी का काम करता है फस्टएड

बीकानेर। इण्डियन रेडक्रोस सोसायटी बीकानेर के तत्वावधान में माइन्स एसोसिएशन के सहयोग से प्राथमिक सहायता, फस्टएड प्रशिक्षण कार्यक्रम शनिवार को रथखाना स्थित माइन्स एसोसिएशन के सभागार में आयोजित किया गया । माइन्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजेश चूरा ने बताया कि रेडक्रोस सोसायटी के अध्यक्ष, कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी एवं संगठन के अध्यक्ष दिनेश काकडा ने दीप प्रज्वलित कर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। उदघाटन अवसर पर बोलते हुए राजेन्द्र जोशी ने कहा कि प्राथमिक सहायता के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रशिक्षित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित व्यक्ति द्घारा घायल या रोगी के जीवन को बचाया जा सकता है।

जोशी ने कहा कि दुर्घटनाओं तथा हादसों में आसपास के लोग फस्टएड तथा घायलों को ले जाने के तरीकों में प्रशिक्षित हो तो बहुत स्थितियों को समय पर काबू किया जा सकता है। संयोजकीय व्यक्तव्य देते हुए राजेश चूरा ने कहा कि हमारा लक्षय होगा की आने वाले समय में बीकानेर जिले में संचालित हो रही प्रत्येक माइन्स के कार्मिक फस्टएड प्रशिक्षण प्राप्त किया हुआ हो। चूरा ने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण से माइन्स के साथ साथ सड़क सुरक्षा में भी मददगार साबित हो सकेंगे।रेडक्रोस सोसायटी के सचिव विजय खत्री ने कहा कि बीकानेर जिले में फस्टएड प्रशिक्षण कार्यक्रम नियमित रूप से संचालित किया जाएगा।

खत्री ने कहा कि प्राथमिक सहायता इस मेडिकल सहायता का एक भाग है जो अस्पताल से बाहर तक जारी रहती हैं तथा मेडिकल सहायता मिलने पर ही समाप्त होती है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में माइन्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष संदीप चांदना ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्राथमिक सहायता, फस्टएड प्रशिक्षण के उपरांत अपने अपने क्षेत्रों में लोगों का जीवन बचाने के सामाजिक कार्यों में योगदान दे सकेंगे। मास्टर ट्रेनर कोटा से आये हुए अभिषेक ने ऑडियो-वीडियो तकनीक से प्राथमिक सहायता के दस अध्यायों का प्रशिक्षण दिया। रेडक्रोस सोसायटी के सहयोगी चिकित्सक डॉ सी पी भाटी ने कहा कि प्रत्येक माइन्स स्थल पर फस्टएड बाक्स रखा होना चाहिए।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में माइन्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष आशीष चांदना , शुभकरण गुजर ने भी सम्बोधित किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में दिल्ली से आये हुए भूवैज्ञानिक एस के गोटका ने भी विचार रखे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में लगभग 50 से अधिक माइन्स सुपरवाइजर, मेट एवं मैनेजर भाग ले रहे हैं।

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