पॉवर थिंकिंग से बनें विजेता डॉ बिस्सा - Khulasa Online पॉवर थिंकिंग से बनें विजेता डॉ बिस्सा - Khulasa Online

पॉवर थिंकिंग से बनें विजेता डॉ बिस्सा

बीकानेर। वर्तमान समय में सिर्फ पॉजिटिव थिंकिंग से काम नहीं चलताण् आवश्यकता पॉजिटिव सोच की क्रियान्विति की है और यही पॉवर थिंकिंग कहलाती है जिससे हम जगत के अतुल विजेता बन सकते हैं।यह विचार मैनेजमेंट ट्रेनर डॉ.गौरव बिस्सा ने रोशनी घर स्थित राष्ट्रीय पब्लिक स्कूल में आयोजित श् पॉवर थिंकिंगश् विषयक कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त कियेण् डॉ. बिस्सा ने कहा कि अंतर्मन के विश्वास से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। आलस्य और अज्ञात का भय दृ इन दोनों बाधाओं के कारण हम अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान नहीं पाते और लक्ष्य संधान में असफल रह जाते हैं। उन्होंने लघु कथाओं से समझाया कि प्रत्येक व्यक्ति अपने अंतर्मन के विश्वास को न मान कर बाहरी परिस्थितियों से पराजय स्वीकार कर लेता है और इसी कारण श्रेष्ठ कार्यों को अंजाम नहीं दे पाताण् उन्होंने शारीरिक स्वास्थ्य की महत्ताए स्वाध्याय की ताकत और नित्य प्रति अपने लक्ष्यों तक पहुंचने की कला पर महत्त्वपूर्ण टिप्स दिएण् विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए बिस्सा ने कहा कि नैतिकता का कोई विकल्प नहीं है अत: व्यक्तित्त्व विकास का प्राणतत्त्व नैतिक आचरण में छिपा हैण् परीक्षा की तैयारी के टिप्स देते हुए बिस्सा ने प्रभावी टाइम मैनेजमेंटए लक्ष्यों के प्रति समर्पण और नित्य प्रति उत्साह के साथ कार्य में जुटे रहने को अनेकानेक रोचक उदाहरणों से समझायाण् डॉण् बिस्सा ने इस हेतु विद्यार्थियों को पामिंग टेक्निकए स्पाइडर नोट्स बनाने की कला और माइंड मैपिंग के सिद्धांत भी समझायेण् डॉ बिस्सा ने विद्यार्थियों में परीक्षा से सम्बंधित तनाव को दूर करने के गुर सिखाते हुए कहा कि परीक्षा सिर्फ तीन घंटे का क्विज़ गेम है अत: ज़्यादा तनावग्रस्त न होंण् पॉवर रीडिंग करकेए उत्तमता से विषयों का रिविज़न करकेए कॉपी पर अच्छे तरीके से उत्तर लिखकर विद्यार्थी उच्च अंक प्राप्त कर सकते हैंण् डॉ बिस्सा ने स्मृति बढ़ाने हेतु फौर्मुलों के प्रयोगए ध्यान और यौगिक तकनीकों के सदुपयोग तथा नियमित स्वाध्याय के तरीके विद्यार्थियों को सिखायेण् अनेकानेक लघु कथाओंए मैनेजमेंट गेम्स और प्रश्नोत्तरए तथा एक्सरसाइज द्वारा डॉण् बिस्सा ने व्यक्तित्व विकास के महत्त्व को रेखांकित किया
प्राचार्य डॉण् नीलू सोलंकी ने योजनाएं बनाने के बजाय योजनाओं के क्रियान्वन को महत्त्वपूर्ण बताते हुए विद्यार्थियों को लिखकर अभ्यास करने की सीख दीण् उन्होंने विद्यार्थियों को लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम प्रभारी श्वेता चौधरी ने बताया कि कार्यशाला का प्रमुख ध्येय विद्यार्थियों का शारीरिकए मानसिक और आध्यात्मिक विकास करना है।कार्यक्रम का संचालन दिव्या राजपुरोहित ने कियाण् डॉ. नीलू सोलंकी ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा आभार व्यक्त किया प्राचार्य ने किया।

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