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अब भी कमरों से नहीं छूट रहा चिकित्सकों का मोह

बीकानेर। एक ओर तो सरकार आमजन को बेहतर इलाज का दावा करते हुए संशाधन जुटाने की कवायद कर रही है। वहीं दूसरी ओर संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्‍पताल के चिकित्सकों का अपने पुराने कमरों से मोह भंग नहीं हो रहा है। जबकि इन चिकित्सकों को नये भवन व कमरे आवंटित तक हो चुके है। ऐसे चिकित्सकों के कमरा मोह के कारण मरीजों को मजबूरन अस्पताल परिसर में बने बरामदों में बैठकर चिकित्सकों को दिखाने का इंतजार करना पड़ता है। मामला पीबीएम के ईएनटी अस्‍पताल का है। जहां बने दंत रोग विभाग के चिकित्सकों ने अपने कमरों पर ताले जड़ रखे है। जानकारी के अनुसार ईएनटी अस्पताल परिसर में कान-नाक गला रोग,चर्म विभाग व नेत्र रोग से संबंधित चिकित्सक बैठते है और इनकी जांच प्रयोगशालाएं भी यहीं है। इसी बिल्डिंग में दंत विभाग भी लगता था। किन्तु पिछले वर्ष यह विभाग टीबी अस्पताल के पीछे बनी नई बिल्डिंग में स्‍थानांतरित कर दिया गया। इसके बावजूद भी एसपी मेडिकल कॉलेज के उपप्राचार्य व दंत विभाग के एचओडी डॉ. रंजन माथुर ने ईएनटी अस्‍पताल में अपने पुराने ओपीडी कक्ष मय हॉल व 2-3 कमरों पर अवैध रूप से ताला जड़ा हुआ है। इस कारण अस्‍पताल में आज भी आने वाले नेत्र व चर्म रोगों के मरीजों को पर्याप्‍त स्‍थान के अभाव में खुले बरामदे में नेत्र जांच व अपने रोग का इलाज करवाना पड़ रहा है। दंत रोग विभाग के एचओडी ने अब भी अपने पूर्व के कमरों व हॉल की चाबी पीबीएम अस्पताल को सुपुर्द नहीं की है। मरीजों के अनुसार डॉ. माथुर अपनी राजनीतिक पहुंच की जोर पर ईएनटी अस्‍पताल के अपने पुराने डेंटल हॉल व उन कमरों पर ताला लगाए बैठे हैं।आज हालत ये है कि नेत्र विभाग व चर्म विभाग में मरीजों की संख्‍या अधिक है।
इनका कहना है
दंत विभाग नई बिल्डिंग में स्थानांतरित होने के बाद मैने अधीक्षक को निर्देश दिये थे कि पुरानी बिल्डिंग ईएनटी / आई विभाग को दे दी जाए। अभी तक ऐसा क्‍यों नहीं हुआ पीबीएम अधीक्षक से बात करता हूं। डॉ. एच. एस. कुमार,प्राचार्य मेडिकल कॉलेज

 

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