मौत की डिग्गी,अब तक हो चुकी है 16 मौतें,देखे विडियो - Khulasa Online मौत की डिग्गी,अब तक हो चुकी है 16 मौतें,देखे विडियो - Khulasa Online

मौत की डिग्गी,अब तक हो चुकी है 16 मौतें,देखे विडियो

बीकानेर। जिले के जामसर थाने में शनिवार सुबह एक लाश मिलने से सनसनी फेल गई। बताया जा रहा है कि तीन पहले एक व्यक्ति इस डिग्गी में कूदकर अपनी जान दे दी थी। जिसका शव शनिवार को निकाला गया। पुलिस के अनुसार ग्रामीण से सूचना मिली कि डिग्गी के पास किसी की जूती व कपड़े पड़े है। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने संशाधनों के जरिये शव को बाहर निकलवाया। मृतक बबलू खां था। जो परेशान होकर तीन पहले डिग्गी में कूद गया। परिवारजनों ने तीन दिन तक तलाश करने के बाद जब नहीं मिला तो शनिवार सुबह किसी ने परिजनों को इतला दी कि डिग्गी के पास किसी के कपड़े और जूती पड़ी है। जिसके उपरान्त पुलिस की मदद से बबलू खां के शव को डिग्गी से बाहर निकाला गया।

 

अब तक हो चुकी है 16 मौते
डिग्गी के चारों तरफ तारबंदी या ऊंची दीवार नहीं होने से नाराज ग्रामीणों ने शनिवार को रोष जताते हुए प्रशासन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। डिग्गी के पास एकत्रित लोगों ने आक्रोश जताया कि स्थानीय प्रशासन,सरपंच और जिला प्रशासन को अनेक बार अवगत कराने के बाद भी न तो डिग्गी की चारदीवारी की गई है और न ही जलदाय विभाग द्वारा डिग्गी के रखरखाव के उचित प्रबंध किये जा रहे है। जिसका नतीजा ये है कि अब तक इस डिग्गी में 16 जनों ने अकाल अपनी जानें दी है। युवा नेता इमरान शाह ने बताया कि जलदाय विभाग के आलाधिकारियों को अनेक बार अवगत करवाया कि वे इस डिग्गी को ढकने का कोई स्थाई प्रबंध करें। किन्तु जलदाय विभाग के अधिकारी कोई सुनवाई नहीं कर रहे है। इस संबंध में शाह ने जलदाय मंत्री डॉ बी डी कल्ला से इस ओर ध्यान देने का आग्रह किया है।
डिग्गी की नियमित सफाई नहीं
बताया जा रहा है कि जामसर में तीन डिग्गीयां बनी हुई है। जिसकी नियमित सफाई नहीं होती है। हालात ये है कि ग्रामीण गंदला पानी पीने को मजबूर है। गांव के युवा सिकन्दर शाह बताते है कि चार साल से ज्यादा का समय हो गया। न तो डिग्गी की साफ सफाई हुई है और न ही डिग्गी को कवर क रने के पुख्ता इंतजाम। जिसके चलते यह डिग्गी मौत की डिग्गी बन गई है। नियमित सफाई के अभाव में गांव वाले बदबूदार पानी पीने को मजबूर हो रहे है। उन्होनें बताया कि प्रशासन से कितनी बार इस बारे में पत्र व्यवहार किया पर नतीजा वहीं ढाई के तीन पात वाला ही है। अगर अब प्रशासन नहीं चेता तो ग्रामीण आन्दोलन की राह पर चलेंगे।

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