फैक्ट्रियों में काम करने वाली लेबर से श्रम विभाग अनभिज्ञ - Khulasa Online फैक्ट्रियों में काम करने वाली लेबर से श्रम विभाग अनभिज्ञ - Khulasa Online

फैक्ट्रियों में काम करने वाली लेबर से श्रम विभाग अनभिज्ञ


सेस वसूली के नाम पर चुनिंदा स्थानों से मिल रही है रकम, छोटे निर्माण कराने वालों को दिए जा रहे नोटिस
बीकानेर।
बीकानेर जिले में औद्योगिक विस्तार तेजी से हो रहा है लेकिन श्रम विभाग के आंगड़ों में अब भी एक दशक पुरानी फैक्ट्रियों के नाम है, जहां कितने श्रमिक कार्यरत है? विभाग के पास इसकी जानकारी नहीं है। विभाग का मूल काम लेबर सेस वसूल करने का है लेकिन लम्बे समय से संचालित फैक्ट्रियों तक विभाग पहुंच नहीं पाया है। महज चुनिंदा फैक्ट्रियों पर वार-त्योहार पहुंचकर सेस के नाम पर खानापूर्ति कर ली जाती है, जबकि फैक्ट्रियों में काम करने वाले श्रमिकों को क्या सुविधा मिल रही है? उन्हें कितनी मजदूरी मिलती है? छाया-पानी, चिकित्सा आदि की सुविधा मिल रही है या नहीं? इन सब नियम संबंधी बातों को विभाग गौण कर रहा है। विगत एक वर्ष में पन्द्रह करोड़ रुपए की सेस वसूली का आंकड़ा दिखाकर स्थानीय अधिकारी अपनी पीठ थपथपाने का प्रयास तो कर रहे हैं और अब छोटे निर्माण कार्य कराने वालों को नोटिस जारी कर परेशान किया जा रहा है।
यहां स्थित संयुक्त श्रम आयुक्त कार्यालय में लेबर सेस वसूली का आंकड़ा पहली बार पन्द्रह करोड़ तक पहुंचा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण कुछ माह पूर्व यहां संयुक्त श्रम आयुक्त के पदस्थापित रहने का रहा है, जिन्होंने कार्यालय में बैठे श्रम निरीक्षकों को सेस वसूली में लगा दिया और यही कारण रहा कि विभागों की बजाए अन्य स्थानों से निर्माण सेस की वसूली की गई।
कुर्सी पर पहुंच रहा सेस
सरकारी विभागों से श्रम विभाग को करोड़ों रुपए का प्रतिवर्ष सेस मिलता है। सबसे अधिक सेस रेलवे से और उसके बाद नगर विकास न्यास, सार्वजनिक निर्माण विभाग व नगर निगम से सेस प्राप्त होता है, जो बिना किसी परिश्रम के कुर्सी पर बैठे श्रम विभाग को मिल रहा है। जानकारों की मानें, तो लेबर सेस का आंकड़ा सरकारी विभागों की भांति फैक्ट्रियों से भी उतना ही मिल सकता है लेकिन अधिकांश फैक्ट्रियों तक श्रम विभाग के अधिकारी नहीं पहुंच पाते हैं। पहले श्रम निरीक्षकों की कमी का बहाना बनाया जा रहा था और अब पंजीकृत श्रमिकों के आवेदनों के निस्तारण की व्यस्तता बताई जा रही है।
नोटिस जारी करने पर जोर
नियमानुसार दस लाख रुपए से कम के निर्माण कार्य पर लेबर सेस नहीं लगता लेकिन श्रम विभाग नवीनीकरण कार्य कराने वालों को भी नोटिस जारी कर रहा है। विगत तीन माह में नियोजक प्रमाण-पत्र देने वाले अनेक लोगों को नोटिस जारी हो चुके हैं। इनमें से कइयों ने कार्रवाई के डर से नियम विरूद्ध सेस जमा करा दिए हैं।
हो रही है वसूली
लेबर सेस की वसूली के लिए श्रम निरीक्षकों को फैक्ट्रियों में जाकर भौतिक सत्यापन करने के निर्देश दिए हुए हैं। इस बार लेबर सेस पूर्व से अधिक वसूल हुआ है। जहां भी बड़ा निर्माण कार्य चल रहा है, वहां से लेबर सेस वसूल किया जा सकता है।
अब्दुल सलाम काजी, श्रम कल्याण अधिकारी, श्रम विभाग।

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