बीकानेर नगर निगम में बोर्ड गिरेगा! एक मिटिंग ने बढ़ाई हलचल - Khulasa Online बीकानेर नगर निगम में बोर्ड गिरेगा! एक मिटिंग ने बढ़ाई हलचल - Khulasa Online

बीकानेर नगर निगम में बोर्ड गिरेगा! एक मिटिंग ने बढ़ाई हलचल

जयनारायण बिस्सा
खुलासा न्यूज,बीकानेर। एक ओर प्रदेश में कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने को लेकर अपने ही रोड़े बने हुए है। वहीं बीकानेर नगर निगम में कुछ ऐसे ही हालात बनने की चर्चा जोरों पर है। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि जिन भाजपा पार्षदों व कुछ निर्दलियों ने महापौर बनाने में अपना समर्थन दिया था। उनको तव्वजों नहीं मिलने से नाराज चल रहे है। इसको लेकर महापौर प्रतिनिधी से भी कई बार वार्ता हुई। पर हालात वहीं ढाई के तीन पात वाली रहे। इससे नाराज भाजपा बोर्ड को अस्थिर करने के लिये पिछले दिनों भाजपा के नाराज पार्षदों व निर्दलिय पार्षदों की एक बैठक की। जिसमें महापौर के प्रतिनिधी की क ार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए उनके खिलाफ अविश्वास लाने का मानस बना लिया। निर्दलीय पार्षद की अगुवाई में चली इस मुहिम में भाजपा के करीब 18 पार्षद होने के दावे भी किये जा रहे है। इसके अलावा पांच ओर निर्दलीय पार्षद भी इस गुप्त प्लान का हिस्सा रहे।
संभव तो नहीं,पर इस बैठक से चर्चाओं का बाजार जरूर गर्म
राजनीतिक जानकारों की बात करें तो ऐसा संभव नहीं है। महापौर के खिलाफ पहले तो दो साल से पहले अविश्वास प्रस्ताव लाया नहीं जा सकता। अगर किसी भी परिस्थितियों में लाया जाता है तो अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिये कम से कम 60 पार्षदों की जरूरत होगी। अगर वास्तव में भाजपा के 18 पार्षद इस रणनीति के हिस्सा होते भी है,तो उन्हें कांग्रेस के सभी पार्षदों का समर्थन आवश्यक है। कांग्रेस के तीस पार्षदों के साथ 6 निर्दलीय शामिल हो तो ऐसा संभव हो पाएगा। लेकिन कांग्रेस के दो गुट होने के कारण आपसी खींचतान उनमें भी चल रही है। ऐसे में महापौर को अस्थिर कर निगम बोर्ड से अपदस्थ करने की कोशिशों पर पानी फिर जाएगा। किन्तु कांग्रेस एकजुट होकर भाजपा के 18 पार्षदों व 6 निर्दलीयों के समर्थन से ऐसा करती है तो हालात दूसरे हो सकते है।
कही दोहरा न जाएं इतिहास
जब जब भाजपा का बोर्ड बना है। पार्षदों के मुखिया को अपदस्थ करने के प्रयास होते रहे है। सभापति अखिलेश प्रताप सिंह को तो भाजपा के पार्षदों ने ही सताहीन कर दिया था। वहीं महापौर नारायण चोपड़ा के समय भी ऐसे कई प्रयास हुए। हर बार पार्षदों को कोई न कोई प्रलोभन या राजनीतिक दबाव के चलते शांत कर दिया जाता। किन्तु भाजपा बोर्ड का ऐसा इतिहास रहा ही है कि उनके द्वारा बनाएं गये सभापति या महापौर को पांच साल अपनों से ही दो दो हाथ करने पड़े है। अबकि बार भी भाजपा के आधे पार्षद अपने महापौर के प्रतिनिधी से नाराज चल रहे है। जिसके चलते ऐसी संभावनाओं से इंक ार नहीं किया जा सकता कि अस्थिरता के प्रयास न हो।
वरिष्ठ नेता दे रहे है हवा
विश्वस्त सूत्र बताते है कि महापौर को पदच्युत करने की इस अन्दुरूनी रणनीति के अगवा बने एक निर्दलीय पार्षद को भाजपा के ही वरिष्ठ नेता हवा दे रहे है। अन्दरखाने की बात तो यह है कि पहले इन्हीं नेताओं के प्रयास से निगम में भाजपा का बोर्ड बना था और इन्हीं नेताओं ने अब महापौर को हटाने की लगी आग को चिंगारी दी है। अब देखना है कि भाजपा के इन वरिष्ठ नेताओं की यह चिंगारी क्या गुल खिलाती है।

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