उड़ा गुलाल, मचा धमाल,समूचे शहर ने ओढ़ी सतरंगी चुनर - Khulasa Online उड़ा गुलाल, मचा धमाल,समूचे शहर ने ओढ़ी सतरंगी चुनर - Khulasa Online

उड़ा गुलाल, मचा धमाल,समूचे शहर ने ओढ़ी सतरंगी चुनर

बीकानेर । प्यार-मोहब्बत का प्रतीक होली पर्व की मस्ती दो दिनों तक शहर वासियों पर छायी रही। धुलण्डी के दिन शहर में जमकर होली-गुलाल बरसे, जिससे चहुंओर वातावरण में रंगबिरंगी फिजां फैल गयी। शहर के भीतरी भागों के अलावा कॉलोनियों व अनेक मौहल्लों में हर आयु वर्ग के लोगों ने जमकर धमाल मचाया। कहीं डीजे की धुनों पर तो कहीं चंग की थाप पर झूमते हुए होली के रसियों ने खूब लुत्फ उठाया। धूलण्डी के दिन मुख्य आकर्षण तणी तोडऩे का कार्यक्रम रहा। अलसुबह से ही लोग रंग-गुलाल लेकर घरों से निकल पड़े। अपने परिचितों-मित्रों के जमकर रंग-गुलाल लगाया। मस्ती से सरोबार लोग एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले में घूमते रहे, जिसकी वजह से दम्माणी चौक, बिस्सों का चौक, हर्षों का चौक, रत्ताणी व्यासों का चौक, बारहगुवाड़, नत्थूसर गेट, साले की होली आदि क्षेत्रों में दो दिनों तक रौनक रही। लोगों के चेहरे इस तरह से पुते हुए थे कि उन्हें पहचानना मुश्किल हो रहा था। ओझा-छंगाणियों की गेवर जुगलकिशोर ओझा उर्फ पुजारी बाबा के नेतृत्व में निकली।

तणी तोड़ी,सतरंगी हो गया माहौल
दोपहर में तणी तोड़ समिति के तत्वावधान में तणी तोडऩे का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम को देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ नत्थूसर गेट पर जमा हो गयी। रंग बिरंगे रंगों से सरोबार लोगों की उपस्थिति से माहौल अलग ही बन रहा था। ज्ञात रहे कि तणी तोडऩे का कार्यक्रम पुष्करणा समाज की विभिन्न जातियों द्वारा सामूहिक रूप से संपन्न करवाया जाता है। कार्यक्रम में जोशी जाति के व्यक्ति द्वारा तणी काटी जाती है वहीं जोशी को कंधा किराडू जाति द्वारा प्रदान किया जाता है। वहीं सूरदासाणी पुरोहित जाति द्वारा तिलक लगाया जाता है। तणी कटने के साथ ही लोगों ने जमकर गुलाल उछाली, जिससे समूचा वातावरण सतरंगी हो गया। नत्थूसर गेट का मैदान रंग बिरंगी गुलालों से अट गया। होली के मौके पर खुशियों से सरोबार लोगों ने एक दूसरे पर रंग-गुलाल उछाला, जिसके कारण अनेक सड़के-गलियां रंगीन हो गयी।

विदेशी सैलानियों ने भी खेली होली
होली की रंगबिरंगी मस्ती को देखकर विदेशी सैलानी भी अपने को नहीं रोक पायें। उन्होंने ने भी जमकर होली खेली और धमाल में भाग लिया। स्थानीय होटलों में ठहरे इन विदेशी सैलानियों को होली पर्व के बारे में जानकारी दी गई। होटलों में ठहरे विदेशी पर्यटकों ने भी जमकर होली खेली और झूमकर नाचें। वहीं मुख्य मार्गों से गुजर रही गैरियों की टोली को देखकर विदेशी पर्यटक भी अपने आपको रोक नहीं पाये और चंग की थाप पर थिरकने लगे।


व्यापक स्तर पर पुलिस व्यवस्था की गई-
होली के मौके पर शहर में शांति-कानून व्यवस्था बनाये रखने हेतु पुख्ता इंतजामात किये गये। इस बार भी पुलिस और प्रशासनिक स्तर पर व्यवस्थाएं चाक चौबंद की गई थी। शहर के संवेदनशील इलाकों सहित कोने-कोने पर पुलिस कर्मी तैनात किए गए तथा पुलिस के आला अफसर निरंतर गश्त करते रहे जिसके कारण होली के हुड़दंगियों और पियक्कड़ों पर प्रभावी अंकुश रहा और कहीं भी किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई। इसके अलावा शहर के प्रमुख थानों पर दमकल की गाडिय़ां भी तैनात थी। अस्पताल में भी आपात स्थिति से निपटने के लिए माकूल व्यवस्थाओं का इंतजाम किया गया था।
कुंवारी बारात निकली
धुलण्डी के दिन हर्ष जाति द्वारा कुंवारी बारात निकाली गयी। इस बारात में एक युवक बकायदा दूल्हा बनकर निकला, जिसके संग अनेक बाराती भी थे। यह कुंवारी बारात दमाणियों का चौक, मोनावतों की गली स्थित सात घरों में पहुंची, जहां पर बारातियों का खैर मगदम किया गया तथा कुंवारे दूल्हें को पोखने की रस्म अदायगी की गयी। बारात में शामिल लोग हर आयो-हर आयो… विवाह गीतों के साथ होली के अन्य गीत भी गा रहे थे।

भाईयों की दीर्घायु की कामना
सोमवार को बहनों ने अपने भाईयों के ललाट पर कुंकुम अक्षत तिलक कर सिर के उपर से माला घुमाकर भाईयों के उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु होने की कामना की। बहनों ने अभिजीत मुहुर्त के शुरू होते ही माला घोलने की रस्म शुरू की। इस अवसर पर भाईयों ने भी बहनों की रक्षा का संकल्प लिया।

भक्त प्रहलाद के जयकारों के साथ किया होली का दहन
मरूनगरी में सोमवार शाम को गोधूली वेला में विभिन्न जातियों व समाजों द्वारा निकाली गई गेर के साथ विधि विधानपूर्वक होली का दहन भक्त प्रहलाद के जयकारों के साथ किया गया । इस अवसर पर बच्चों, युवाओं, युवतियों, महिलाओं तथा पुरूषों ने होलिका की प्रदक्षिणा कर मनवांछित फल की कामना की। होलिका दहन के अवसर पर विभिन्न मौहल्लों में हजारों की संख्या में उपस्थिति रही। शहर में मुख्य रूप से साले की होली, बारहगुवाड व दम्माणी चौक, बिस्सा चौक, आचार्यों का चौक, मोहता चौक, हर्षों का चौक सहित अनेक स्थानों पर होलिका दहन हुआ। होलिका दहन का आरंभ परंपरागत रूप से जूनागढ के आगे से प्रारंभ हुआ। होलिका दहन के बाद लोगों ने परम्परानुसार जलते हुए अंगारों पर पापड़ सेके । होलिका दहन के अवसर पर नवविवाहित जोडों व नवशिशुओं को होलिका की परिक्रमा करवाकर ढूंढना परम्परा की रस्म अदायगी कर दीर्घायु की कामना की गई।

डोलची खेल आयोजित
ओझा छंगाणी जाति के लोगों के बीच बारहगुवाड चौक प्रांगण में पानी खेल सतरंगी डोलची का आयोजन हुआ। लोहे के बड़े बड़े कड़ावों में सात रंगों से रंगीन पानी को डोलची में भरकर एक दूसरे के पीठ पर प्रेम भरी बौछारें कर होली की शुभकामनाऐं दी गई। दशकों पुरानी इस परंपरा का निर्वहन पुजारी बाबा के नेतृत्व में किया गया। डोलची खेलार स्वर्गीय गुलजी ओझा की स्मृति में आयोजित होली खेल का शुभारंभ भगवानकृष्ण की माक्खन चोर लीला के प्रदर्शन के साथ हुआ। भगवान कृष्ण एवं राधिका ने गोपियों के साथ नृत्य कर एक दूसरे पर पिचकारी से पानी की मार मारी। तत्पश्चात बच्चों से बुढ़ों तक ने सतरंगी डोलची खेल में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

error: Content is protected !!
Join Whatsapp 26